"चाऊमीन वाली" वो गोलू की मम्मी चाऊमीन वाली के नाम से जानी जाती थी क्योंकि कालोनी की अंदरूनी सड़क पर चाऊमीन का ठेला लगाती थी। मैं कालोनी में सरकारी सेवक कम और शिक्षक के रूप में अधिक जाना जाता था। ...
मेरे सभी शब्दों को जोड़ कर जब कल्पना लोक में जाता हूं, तो अपने आप को ही पाता हूं। मैं ही मेरे शब्द हूं और मेरी रचनाएं ही मेरा व्यक्तित्व हैं। मेरी रचना यात्रा स्वयं को ही साकार करने का एक प्रयास है। इस प्रयास में कितना सफल हूं, कितना असफल, आदरणीय पाठक ही बता पाएंगे।
सारांश
मेरे सभी शब्दों को जोड़ कर जब कल्पना लोक में जाता हूं, तो अपने आप को ही पाता हूं। मैं ही मेरे शब्द हूं और मेरी रचनाएं ही मेरा व्यक्तित्व हैं। मेरी रचना यात्रा स्वयं को ही साकार करने का एक प्रयास है। इस प्रयास में कितना सफल हूं, कितना असफल, आदरणीय पाठक ही बता पाएंगे।
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