##ग़ज़ल...उदासी। ऐसे ही मन कुछ तन्हा उदास बैठा है। तुम्हारी यादों के वो आस पास बैठा है।। यक़ीन नहीं आता के वो छोड़ गया उसे। ख़यालों में गुम बहुत बदहवास बैठा है।। असर हादसों का कभी दिखाई नहीं देता। एहसास ...
अमितेन्द्र सिंह की ग़जलें जहाँ फनी ऐतबार से पूरी तरह मुकम्मिल हैं, उनकी ग़जलें सीधे हृदय की गहराइयों को स्पर्श करती हैं। आज के दौर में अमितेन्द्र सिंह जैसे लिखने वाले बहुत ही कम हैं।
सलीम तन्हा (संपादक)
दैनिक अक्षर सम्राट
सारांश
अमितेन्द्र सिंह की ग़जलें जहाँ फनी ऐतबार से पूरी तरह मुकम्मिल हैं, उनकी ग़जलें सीधे हृदय की गहराइयों को स्पर्श करती हैं। आज के दौर में अमितेन्द्र सिंह जैसे लिखने वाले बहुत ही कम हैं।
सलीम तन्हा (संपादक)
दैनिक अक्षर सम्राट