::: बीतता हुआ आज, बीता हुआ कल और आने वाले कल की गूँज :::: मैं, पहली मंजिल पर स्थित अपने घर की बालकनी में बैठी नीचे देख रही थी । आज मेरे सर में हल्का हल्का सा दर्द था । मैंने अपने लिये अदरक वाली चाय ...

प्रतिलिपि::: बीतता हुआ आज, बीता हुआ कल और आने वाले कल की गूँज :::: मैं, पहली मंजिल पर स्थित अपने घर की बालकनी में बैठी नीचे देख रही थी । आज मेरे सर में हल्का हल्का सा दर्द था । मैंने अपने लिये अदरक वाली चाय ...