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आठवीं सीढ़ी

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4.6

::: बीतता हुआ आज, बीता हुआ कल और आने वाले कल की गूँज :::: मैं, पहली मंजिल पर स्थित अपने घर की बालकनी में बैठी नीचे देख रही थी । आज मेरे सर में हल्का हल्का सा दर्द था । मैंने अपने लिये अदरक वाली चाय ...