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"आराम हराम है"

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चढ़ते सूरज और तपती दोपहरी से उमस भरी शाम वो करता रहा बिना रुके काम.. सूई के काटें भले ही वक़्त बताते हो.. फैक्टरी के सायरन भले समय दर्शाते हो.. पर उसके अंतर्मन की घड़ी का सायरन जो गूँज सुनाता ...

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लेखक के बारे में

मैं एक फिल्मकार हूँ, मेरी पहली फिल्म "साँकल" है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत चर्चित रही है। कविताएं शौक से करता हूँ। मेरे लिए फ़िल्म बनाना अगर प्रेम रस में डूबने जैसा है तो कविताएं लिखना उस प्रेम रस में ना डूब पाने की स्थिति में प्रेमरस की कल्पना से उसके चरम पर पहुंचने जैसा है !!

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