चढ़ते सूरज और तपती दोपहरी से उमस भरी शाम वो करता रहा बिना रुके काम.. सूई के काटें भले ही वक़्त बताते हो.. फैक्टरी के सायरन भले समय दर्शाते हो.. पर उसके अंतर्मन की घड़ी का सायरन जो गूँज सुनाता ...
चढ़ते सूरज और तपती दोपहरी से उमस भरी शाम वो करता रहा बिना रुके काम.. सूई के काटें भले ही वक़्त बताते हो.. फैक्टरी के सायरन भले समय दर्शाते हो.. पर उसके अंतर्मन की घड़ी का सायरन जो गूँज सुनाता ...