'नमन' कभी माँ बन... हसना-बोलना सिखाया, कभी पिता बन... ऊँगली पकड़ चलना सिखाया, कभी सखा बन... हर पल साथ निभाया, कभी चित्रकार बन... मेरी कृति को सवारा, कभी मूर्तिकार बन... मेरी हस्ती को आकार ...
कर्म भूमि तो मुंबई हैं, पर जड़ें उज्जैन से रखती हूँ... यु दुर्गा की भक्त हूँ, पर नाता महाकाल से रखती हूँ... यु जिज्ञासा से पढ़ती हूँ पर महाविद्यालयों में अपना ज्ञान बाटती हूँ... यु तो हिंदी पहला प्यार हैं पर शादी अर्थशास्त्र से कर बैठी हूँ.......
सारांश
कर्म भूमि तो मुंबई हैं, पर जड़ें उज्जैन से रखती हूँ... यु दुर्गा की भक्त हूँ, पर नाता महाकाल से रखती हूँ... यु जिज्ञासा से पढ़ती हूँ पर महाविद्यालयों में अपना ज्ञान बाटती हूँ... यु तो हिंदी पहला प्यार हैं पर शादी अर्थशास्त्र से कर बैठी हूँ.......
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