’आलेख’ ’’यादों की रोशनी में: जो बचा रहा’’ पीयूष पाचक ’स्मृति’ कहो या याद्दास्त दोनों का संबंध प्रमस्तिष्क के स्मरण से माना जा सकता है। मानव जीवन में इसका अहम् योगदान तो होना स्वभाविक है, वरना तो वह केवल पूतला रह जाएगा जो भावों को व विचारों को उकेरने में सफल न होगा। मनोविज्ञान के कारक स्मृति का आभास स्मरण के लिए आवश्यक है। राय महोदय का वह कथन स्मृति की पर्याप्त व्याख्या करता है- ’’स्मृति एक नया अनुभव है जो पूर्व अनुभवों की स्थितियों द्वारा निर्धारण होता है और दोनों के बीच का संबंध स्पष्ट समझा ...
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