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आज भी यादों में नन्द चतुर्वेदी

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’आलेख’ ’’यादों की रोशनी में: जो बचा रहा’’ पीयूष पाचक ’स्मृति’ कहो या याद्दास्त दोनों का संबंध प्रमस्तिष्क के स्मरण से माना जा सकता है। मानव जीवन में इसका अहम् योगदान तो होना स्वभाविक है, वरना तो वह केवल पूतला रह जाएगा जो भावों को व विचारों को उकेरने में सफल न होगा। मनोविज्ञान के कारक स्मृति का आभास स्मरण के लिए आवश्यक है। राय महोदय का वह कथन स्मृति की पर्याप्त व्याख्या करता है- ’’स्मृति एक नया अनुभव है जो पूर्व अनुभवों की स्थितियों द्वारा निर्धारण होता है और दोनों के बीच का संबंध स्पष्ट समझा ...

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लेखक के बारे में

पीयूष कुमार पाचक जन्म- 2 जनवरी 1984 बाड़मेर (राजस्थान) षिक्षा- एम. ए. (हिन्दी, संस्कृत, दर्षनषास्त्र,) एम.एड., पीएच.डी. (षिक्षा) नेट (षिक्षा, दर्षनषास्त्र)नेट,जे.आर.एफ- हिन्दी, ’समकालीन कवियों द्वारा आलोचना’ पर पीएच.डी. शोधरत् प्रकाशित पुस्तक - आपके सामने (उपन्यास) कहानियां- मोरपंख सांगरी, अवसाद, एक शाम

समीक्षा
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  • author
    SS Sabiya
    08 अप्रैल 2024
    bhout sandar
  • author
    Naresh Dadhich
    24 सितम्बर 2023
    अच्छी है
  • author
    22 मई 2019
    बहुत सुंदर
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    SS Sabiya
    08 अप्रैल 2024
    bhout sandar
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    Naresh Dadhich
    24 सितम्बर 2023
    अच्छी है
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    22 मई 2019
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