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आईना मेरा

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आईना मेरा मेरा पर्दा अपने फ़राइज में क्यूँ नाक़ाम रहा हाय! ये कौन बनके आया आईना मेरा!! परत दर परत में छुपा रखा था जिसे! बेपर्दा हुआ जा रहा है मन मेरा! वो कभी गैर भी है, कभी अपना भी और कभी सच भी है, ...

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Almas Indian
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