गुज़रे कल को भुला कर आज नया सा जिया जाए कैसे काग़ज़-ए-दिल को फिर से भला कोरा किया जाए कैसे भुला पाना जो मुमकिन न हो तो नई यादें बनाकर देखिए क़िताब-ए-दिल ख़ाली है इसे इक सफ़े से बढ़ाकर देखिए ...
गुज़रे कल को भुला कर आज नया सा जिया जाए कैसे काग़ज़-ए-दिल को फिर से भला कोरा किया जाए कैसे भुला पाना जो मुमकिन न हो तो नई यादें बनाकर देखिए क़िताब-ए-दिल ख़ाली है इसे इक सफ़े से बढ़ाकर देखिए ...