छोटी-सी उम्र से ही मैंने देखा है पिता को रखते हुए घर का एक-एक हिसाब और तुम कहते हो वे मुट्ठी में पादते हैं दादा को एक ही चिढ़ रही पिता की उस छोटी-सी नौकरी से सदा नौकरीपेशा होते हुए भी दादु ले लेना ...
छोटी-सी उम्र से ही मैंने देखा है पिता को रखते हुए घर का एक-एक हिसाब और तुम कहते हो वे मुट्ठी में पादते हैं दादा को एक ही चिढ़ रही पिता की उस छोटी-सी नौकरी से सदा नौकरीपेशा होते हुए भी दादु ले लेना ...