pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाकू की तरह है, जिसमें सिर्फ धार है, वह प्रयोग करने वाले का हाथ रक्तमय कर देता है

30

तर्क करना अच्छा काम है लेकिन 'सिर्फ तर्क' ही करना बिल्कुल भी अच्छा काम नहीं है।

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
सौरभ

एक लेखक क्या बताए अपने बारे में? उसकी दौलत क्या हो सकती है? वह तो कभी बादल की तरह, कभी समुंद्र यात्री की तरह, कभी गोताखोर होकर तो कभी एक बंजारे की तरह चलता भटकता यात्रा करता रहता है। लेकिन ये निराला और बाबा नागार्जुन का वंशज अपने स्वाभिमान को कभी नहीं छोड़ सकता है,इन सबमें साथ देने के लिए इसके पास हैं आप सभी सद् मित्रों की दुआएं व स्नेहाशीष की अनुकंपाएं । मंगलम् भवतु 🙏💐

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है