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5 साल बाद

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diploma second year की एक रात वक़्त करीब 10 बजे मैँ अपना facebook देख रहा था। तभी एक freind request आया। मैंने फौरन उसे accept किया ,और करता भी क्यों न इस नाम को न जाने कितनी बार search किये थे ...

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फिरोज शेख

इन प्यारी सी आँखों में ख्वाब हजार है। हर ख्वाब में आपका ज़िक्र हजार है।

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