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ग़ज़ल

4.4
2231

ग़ज़ल पत्थरों का ये बड़ा अहसान है हर क़दम पर अब यहाँ भगवान है। वो बुझा पाई न जलते दीप को ये हवा का भी बड़ा अपमान है। देखता ही शब्द बेचारा रहा अर्थ को मिलता रहा सम्मान है। फिर खिलौनों की दुकानें सज गईं मुश्किलों में बाप की अब जान है। दफ़्न सीने में है हर इक आरज़ू बन गया दिल जैसे क़ब्रिस्तान है। जब कोई प्यारा सा बच्चा हॅस दिया यूँ लगे सरगम भरी इक तान है। आप सब के ख़्वाब हों पूरे सभी बस 'शरद' के दिल में ये अरमान है। ग़ज़ल जो अलमारी में हम अख़बार के नीचे छुपाते हैं, तो वो ही चन्द पैसे मुश्किलों में ...

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लेखक के बारे में
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शरद तैलँग

ग़ज़लकार, सुगम सँगीत गायक, कवि एवँ व्यँग्यकार । एक व्यँग्य सँकलन " गुस्से मेँ है भैँस" प्रकाशित । प्रसिद्ध कार्यक्रम " कौन बनेगा करोड्पति " मेँ अमिताभ बच्चन द्वारा सुनाये जाने वाले " चन्द केबीसी छन्द" के रचयिता । अनेक साहित्य सम्मान से सम्मानित । वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा राजस्थान के "कुलगीत" के रचयिता एवँ सँगीत निर्देशक । Blog : www.sharadtkritya.blogspot.com www.sharadvyang.blogspot.com email : [email protected] सम्पर्क : 240 माला रोड (हाट रोड) कोटा जँ 324002 राजस्थान भारत मोबाइल : 09829903244

समीक्षा
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  • author
    m. shah
    26 मई 2018
    बहुत खूबसूरत गजल है
  • author
    Subhro
    17 मई 2018
    Awesome!
  • author
    शशि शर्मा "खुशी"
    22 अगस्त 2015
    बेहतरीन गजलें 
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    m. shah
    26 मई 2018
    बहुत खूबसूरत गजल है
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    Subhro
    17 मई 2018
    Awesome!
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    शशि शर्मा "खुशी"
    22 अगस्त 2015
    बेहतरीन गजलें