ग़ज़ल पत्थरों का ये बड़ा अहसान है हर क़दम पर अब यहाँ भगवान है। वो बुझा पाई न जलते दीप को ये हवा का भी बड़ा अपमान है। देखता ही शब्द बेचारा रहा अर्थ को मिलता रहा सम्मान है। फिर खिलौनों की दुकानें सज ...
ग़ज़ल पत्थरों का ये बड़ा अहसान है हर क़दम पर अब यहाँ भगवान है। वो बुझा पाई न जलते दीप को ये हवा का भी बड़ा अपमान है। देखता ही शब्द बेचारा रहा अर्थ को मिलता रहा सम्मान है। फिर खिलौनों की दुकानें सज ...