pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया....

5
42

मैं फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया मुश्किलें बहुत आई राह में पर मैं गुनगुनाता चला गया .... चारों तरफ तूफान था बर्बादियों का पर मैं फिर भी बढ़ता चला गया ना मिले मंजिल तो गम नहीं हम बिना ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Niharika Goswami

दिल की बातें दिल ही जाने तू क्यों ना जाने मेरे दर्द और हंसी को तो बिन कहे क्यों न पहचाने ।।।।।।...

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    संतोष नायक
    23 जनवरी 2020
    बहुत ही अच्छे भावोंभरी रचना।रचना शैली भी अच्छी लगी।
  • author
    23 जनवरी 2020
    बहुत सुन्दर रचना है आपकी बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं भी ।
  • author
    Satya Prakash
    23 जनवरी 2020
    बहुत बहुत सुन्दर एक मिस्टेक सीडी( सीढ़ी) 🙏🙏🙏
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    संतोष नायक
    23 जनवरी 2020
    बहुत ही अच्छे भावोंभरी रचना।रचना शैली भी अच्छी लगी।
  • author
    23 जनवरी 2020
    बहुत सुन्दर रचना है आपकी बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं भी ।
  • author
    Satya Prakash
    23 जनवरी 2020
    बहुत बहुत सुन्दर एक मिस्टेक सीडी( सीढ़ी) 🙏🙏🙏