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"नेहा की राखी पर तीन दिन की छुट्टियां मंज़ूर थीं पर वो उससे पहले ही भाग गई" "सब मैम से मिलीभगत होगी हमारे भी तो भाई हैं ,मायका है, हमारी भी इच्छा होती है जाएं हुंह" स्टाफ रूम की काना फूसी ...

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लेखक के बारे में

स्त्रियों का जीवन सम्वेदनशीलता को प्राधान्य देता है समाज में मेरे इर्द गिर्द की औरतों में कहानियाँ ढूंढ लेती हूँ। जन्म स्थल झांसी सम्प्रति नागपुर से

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    13 ডিসেম্বর 2018
    माननीया सुश्री अंजुलिका चावला जी,घायल की गत घायल जाने और न जाने कोय।सरहद पर शहीद होने वाला जवान हमारा अपना न होते हुए भी हमारे दिल को झकझोर जाता है।हमें ऐसा अनुभव होता है कि वह हमारा अपना था।एक बार तो आँखें नम हो जाती हैं।इस कहानी में वही दर्द झलकता है।दिल को छूने वाली रचना के लिए आपको बधाई और साधुवाद।
  • author
    monica lal
    20 ডিসেম্বর 2021
    हमारे वीर जवान केवल सीमाओं की ही सुरक्षा नहीं करते बल्कि हमें निर्भय होकर जीने का साहस भी देते हैं...उनके परिवार भी त्योहारों में उनकी प्रतीक्षा करते हैं...वो हमारे सुरक्षित कल के लिए अपने आज न्यौछावर कर देते हैं और हम उनके बलिदान पर केवल so sad कह कर रह जाते हैं..नमन वीरों को और आपकी लेखनी को...
  • author
    Suman Pandey
    24 জুলাই 2018
    aap ki rachna ko kya comment dun words hi ni mere pas
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    13 ডিসেম্বর 2018
    माननीया सुश्री अंजुलिका चावला जी,घायल की गत घायल जाने और न जाने कोय।सरहद पर शहीद होने वाला जवान हमारा अपना न होते हुए भी हमारे दिल को झकझोर जाता है।हमें ऐसा अनुभव होता है कि वह हमारा अपना था।एक बार तो आँखें नम हो जाती हैं।इस कहानी में वही दर्द झलकता है।दिल को छूने वाली रचना के लिए आपको बधाई और साधुवाद।
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    monica lal
    20 ডিসেম্বর 2021
    हमारे वीर जवान केवल सीमाओं की ही सुरक्षा नहीं करते बल्कि हमें निर्भय होकर जीने का साहस भी देते हैं...उनके परिवार भी त्योहारों में उनकी प्रतीक्षा करते हैं...वो हमारे सुरक्षित कल के लिए अपने आज न्यौछावर कर देते हैं और हम उनके बलिदान पर केवल so sad कह कर रह जाते हैं..नमन वीरों को और आपकी लेखनी को...
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    Suman Pandey
    24 জুলাই 2018
    aap ki rachna ko kya comment dun words hi ni mere pas