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सकारात्मकता

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यह गीत बनते समय दुसाध्य बीमारी से ग्रस्त थी साधक की देह! आत्मीय चिकित्सकों और ज्योतिषियों ने चिन्ता प्रकट की थी कि यह शरीर अगली शताब्दी नहीं देखेगा! प्रयोजनीयता और सकारात्मकता ने अब तक देह को बचाये ...

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