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शेष कथा

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अब समझा नन्हीं ने उसका लोक दूसरा। देख सकें ना उसके परिजन लोक दूसरा॥ ये सब अब भी खान-पान तक सिमटे। उड़ने की कोई चाह नहीं, धरती में सिमटे॥ छूट गया है अब मेरा यह घर पुराना। नये दोस्तों के संग अब मुझको ...

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