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शांति और एकांत

4.9
18

एकांत हो और  मन शांत हो पर ऐसा हो नहीं पाता शांति तो मिलती है इसी अशांति में बच्चों के शोर में पति से नोक झोक में लडा़ई झगड़े में बातों बातों में ही होता है मन हल्का तभी मन को मिलती है शांति ...

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लेखक के बारे में
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Kavita Jha

मन में आते भाव उथल-पुथल मचा देतें हैं मस्तिष्क में। प्रतिलिपि से जुड़ी 2020 में,पहले यहां पाठक के रूप में फिर पता चला मैं भी आसानी से लिख सकती हूं। बस यह लेखन सफर तभी से जारी है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    S. M. Singh
    11 ഏപ്രില്‍ 2021
    बिलकुल सही कहा di आपने रियल ज़िन्दगी में इन्ही चीजों से शांति और सुकून मिलता है
  • author
    pawan sharma
    11 ഏപ്രില്‍ 2021
    बिल्कुल सही कहा आपने जी 👌👌👌👌👌👌
  • author
    Santosh K. Goriya
    11 ഏപ്രില്‍ 2021
    एकदम सच्ची बात है..श्रीमद्भाग्वत में भी तो यही कहा गया है अभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना। परमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन।।
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    S. M. Singh
    11 ഏപ്രില്‍ 2021
    बिलकुल सही कहा di आपने रियल ज़िन्दगी में इन्ही चीजों से शांति और सुकून मिलता है
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    pawan sharma
    11 ഏപ്രില്‍ 2021
    बिल्कुल सही कहा आपने जी 👌👌👌👌👌👌
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    Santosh K. Goriya
    11 ഏപ്രില്‍ 2021
    एकदम सच्ची बात है..श्रीमद्भाग्वत में भी तो यही कहा गया है अभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना। परमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन।।