हवा की सरसराहट कानों में रस घोलती है मानो प्रकृति हौले से हमसे कुछ कहती है जैसे कह रही….. अमृत कलश से भरी,वात्सल्य से भीगी ममता का आँचल पसारती माता हूँ मैं... स्निग्ध रश्मियाँ हाथ बढ़ा रक्षा सूत्र ...
हवा की सरसराहट कानों में रस घोलती है मानो प्रकृति हौले से हमसे कुछ कहती है जैसे कह रही….. अमृत कलश से भरी,वात्सल्य से भीगी ममता का आँचल पसारती माता हूँ मैं... स्निग्ध रश्मियाँ हाथ बढ़ा रक्षा सूत्र ...