pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

लघुकथा- अँधा

4.3
2978

कहते हैं कि आँख का अँधा होता है. मगर यहाँ तो पुत्र ने अंधे पिता को ही रास्ता दिखा दिया. मगर वह रास्ता कहाँ का थे. पढ़ कर महसूस कीजिए,

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

    जन्म-        26 जनवरी’ 1965         पेशा -            सहायक शिक्षक         शौक-        अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा-    मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथसाथ लघुकथाएं व क्षणिका तथा हाइकू . शिक्षा-    एमए ( हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र,  इतिहास ) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा . समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिषत अंक के साथ अपनी बैच में प्रथम . रचना प्रकाशन-    सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, समाजकल्याण , बालभारती, वेबदुनिया, चौथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विषेष लेखन-    चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाषन-    लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, चतुराई धरी रह गई.प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार-    साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकू , हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). jजयविजय सम्मान २०१५ प्राप्त.  

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अहसन खान "दानिश"
    09 मे 2020
    आपने कम लफ्जों में भी बहुत कुछ कह दिया
  • author
    Ishrat Siddiqui
    18 जानेवारी 2019
    सत्य कम शब्दों मे जीवन्त अभिव्यक्ति
  • author
    Dr Deepayan Choudhury
    09 ऑक्टोबर 2018
    आज के परिपेक्ष्य मे यही घटता है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अहसन खान "दानिश"
    09 मे 2020
    आपने कम लफ्जों में भी बहुत कुछ कह दिया
  • author
    Ishrat Siddiqui
    18 जानेवारी 2019
    सत्य कम शब्दों मे जीवन्त अभिव्यक्ति
  • author
    Dr Deepayan Choudhury
    09 ऑक्टोबर 2018
    आज के परिपेक्ष्य मे यही घटता है