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रेवा और कागज़ की कश्ती

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रेवा और कागज की कश्ती                पहाड़ों की बारिश भी उसके प्रियतम जैसी ही है –जिसका कोई भरोसा नही| खिड़की बंद करके बौछार से गीले हुए कपड़ों को सहेजते हुए रेवा ने सोचा “पर कम्बखत दिलकशी भी इतनी  ...

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keerti singh

कुछ भी विशेष या उल्लेखनीय नहीं. कहानियां अच्छी लगती हैं, अच्छी कहानियां अधिक अच्छी लगती हैं.

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