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रणछोड़

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जुलाई की शाम मौसम का मिजाज बदला हुआ था रिमझिम बारिश हो रही थी गैस में काॅफी चढ़ाकर खिड़की के पास आकर बाहर झांकते नीति कहीं खो गई। पच्चीस साल पहले की बात है, नीति आज सुबह से परेशान थी,रह रह कर उसे ...

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लेखक के बारे में
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Kavi Kaushik

a hand without"Life line" a heart without "emotion" Education M.com., LL.B., LL.M. पिताजी का सपना था वकील बनना पर वे न बन सके। मैं इंजीनियरिंग करता लेकिन परिस्थितियों ने वाणिज्य शास्त्र का छात्र बना दिया। सीए-सीएम‌ए करते लेकिन क़िस्मत ने फिर पलटी मारी और एल‌एल. बी. एल‌एल.एम की डिग्री अपने नाम दर्ज करा लिए। अब एकेडमिक में जाना है सो देखते हैं ऊँट किस करवट बैठता है!

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vimal sid
    20 मई 2019
    ओह...मार्मिक और हृदयस्पर्शी,, कुछ सवाल छोड़ कर जाती एक उम्दा रचना ।। बहुत ही सशक्त व यथार्थ परक लिखा है आपने । एक पढने योग्य लघुकथा .... बधाईयाँ 👌👌
  • author
    Hemant Sahu
    27 फ़रवरी 2021
    bahut hi sundar,,, isi tarah likhte rhe..
  • author
    18 फ़रवरी 2020
    सच्चाई से अवगत कराती रचना
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    Vimal sid
    20 मई 2019
    ओह...मार्मिक और हृदयस्पर्शी,, कुछ सवाल छोड़ कर जाती एक उम्दा रचना ।। बहुत ही सशक्त व यथार्थ परक लिखा है आपने । एक पढने योग्य लघुकथा .... बधाईयाँ 👌👌
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    Hemant Sahu
    27 फ़रवरी 2021
    bahut hi sundar,,, isi tarah likhte rhe..
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    18 फ़रवरी 2020
    सच्चाई से अवगत कराती रचना