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मैं

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ये सर्द मौसम में उल्फत के दिन इन तन्हा शामों में बंजारा सा मैं ये काली अंधेरी गहरी सी नम रात और नींदों का बोझ लिए बेचारा सा मैं ये धोखे के समंदर में उठती मतलब की लहरे, और इनकी हदों को समेटता जैसे ...

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लेखक के बारे में
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Mayank Sahu

Journalist , Artist - dancer , choreographer , writer, actor

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