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मेरी लघुकथाएं-मेरी लघुकथाएं

4.4
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......माँ ने मोटरसाइकिल की और इशारा किया , " देख रमेश , तेरी बीवी को ! लोग कहते है कि पति के होते हुए वह दूसरे के साथ ...." ........" क्या ?" अपने बेटे बबलू को घर के बाहर पड़ी रेत पर घरौंदा बनाना ...

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मेरी लघुकथाएं-आग
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ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"
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बरसते पानी में काम को तलाशती हरिया की पत्नी गोरी को बंगले में कुत्ते को बिस्कुट खाते हुए देख कर कुछ आश जगी, ‘ यहाँ काम मिल सकता है या खाने को कुछ. इस से दो दिन से भूखे पति-पत्नी की पेट की आग बूझ सकती ...

लेखक के बारे में

    जन्म-        26 जनवरी’ 1965         पेशा -            सहायक शिक्षक         शौक-        अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा-    मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथसाथ लघुकथाएं व क्षणिका तथा हाइकू . शिक्षा-    एमए ( हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र,  इतिहास ) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा . समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिषत अंक के साथ अपनी बैच में प्रथम . रचना प्रकाशन-    सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, समाजकल्याण , बालभारती, वेबदुनिया, चौथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विषेष लेखन-    चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाषन-    लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, चतुराई धरी रह गई.प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार-    साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकू , हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). jजयविजय सम्मान २०१५ प्राप्त.  

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Bhuvneshwar Chaurasiya "Bhunesh"
    23 अक्टूबर 2018
    सभी लघुकथाएं बहुत अच्छी है कहीं कहीं शब्दों की अशुद्धि है उसे पढ़ कर पुनः सुधार किजिए बहुत बहुत बधाई।
  • author
    Rohit Kumar
    23 अक्टूबर 2018
    आखरी कथा में ही जान थी। बाकी सब समझ ही न आयी।
  • author
    दोषी
    23 अक्टूबर 2018
    कहानी का अर्थ समझ में नहीं आया?
  • author
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    Bhuvneshwar Chaurasiya "Bhunesh"
    23 अक्टूबर 2018
    सभी लघुकथाएं बहुत अच्छी है कहीं कहीं शब्दों की अशुद्धि है उसे पढ़ कर पुनः सुधार किजिए बहुत बहुत बधाई।
  • author
    Rohit Kumar
    23 अक्टूबर 2018
    आखरी कथा में ही जान थी। बाकी सब समझ ही न आयी।
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    दोषी
    23 अक्टूबर 2018
    कहानी का अर्थ समझ में नहीं आया?