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मुक्ति(1)

3.9
3384

- मुक्ति - सौम्या अपनी बेटी रितु से कहती है बेटा चलो जल्दी नाश्ता कर लो फिर सारा सामान भी पैक करना है रितु, मम्मा मैने अपना सामान पैक कर लिया पर भैय्या ने अभी तक अपना ...

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मुक्ति(10)
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प्रकृति
4.6

किसी अंजान व्यक्ति की धमकी सुनकर अभिजीत केबिन से बाहर निकलकर पार्किंग में जाता है और अपनी कार स्टार्ट करता है,और शहर से लगभग दो कि.मी.दूर अवस्थित गाँव हुज़ूर पूर निकल जाता है,गांव पहुँचने के बाद वह एक ...

लेखक के बारे में
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प्रकृति

मेरी कोशिश यही रहती है कि अपनी कल्पनाओं को साकार रूप दे सकूँ,,,,और मैने अपनी लेखनी को किसी भी प्रकार की सीमाओं से नहीं बांध रखा है, जो अच्छा लगता है, बस वही लिखती हूँ,।,,,,,,,,,,

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rajni Bansal
    14 অগাস্ট 2019
    ना जाने क्या हो चला है आजकल के लेखकों को, धारावाहिक कहानियां क्यों लिखते हैं। चूंकि कहानी अच्छी थी, किन्तु अधूरी थी, इसलिए ही स्टार काट लिए।
  • author
    Pooja Arora
    30 এপ্রিল 2019
    intrusting ...waiting for next part
  • author
    Mamta Gupta
    01 মে 2019
    interesting story
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rajni Bansal
    14 অগাস্ট 2019
    ना जाने क्या हो चला है आजकल के लेखकों को, धारावाहिक कहानियां क्यों लिखते हैं। चूंकि कहानी अच्छी थी, किन्तु अधूरी थी, इसलिए ही स्टार काट लिए।
  • author
    Pooja Arora
    30 এপ্রিল 2019
    intrusting ...waiting for next part
  • author
    Mamta Gupta
    01 মে 2019
    interesting story