यदि माँ, प्यार और देखभाल करने का नाम है तो मेरी माँ मेरे पिताजी है।
यदि दयाभाव, माँ को परिभाषित करता है तो मेरे पिताजी उस परिभाषा के हिसाब से पूरी तरह मेरी माँ है।
यदि त्याग, माँ को परिभाषित करता ...
वाह!!!अति उत्तम। इतनी सुंदर अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद।कौन कहता है कि केवल एक माँ ही बच्चे को अच्छी परवरिश दे सकती है, यह तो सोच पर निर्भर करता है।त्याग, प्यार और समर्पण ऐसे भाव हैं जो हर रिश्ते की बुनियाद हैऔर इन्हीं भावों से ओतप्रोत होने के कारण माँ को बच्चों का भगवान कहा जाता है।वही गुण एक पिता में भी होते हैं आवश्यकता है उन भावों की अभिव्यक्ति की।मन छूलेने वाली कहानी।
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वाह!!!अति उत्तम। इतनी सुंदर अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद।कौन कहता है कि केवल एक माँ ही बच्चे को अच्छी परवरिश दे सकती है, यह तो सोच पर निर्भर करता है।त्याग, प्यार और समर्पण ऐसे भाव हैं जो हर रिश्ते की बुनियाद हैऔर इन्हीं भावों से ओतप्रोत होने के कारण माँ को बच्चों का भगवान कहा जाता है।वही गुण एक पिता में भी होते हैं आवश्यकता है उन भावों की अभिव्यक्ति की।मन छूलेने वाली कहानी।
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