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मजबूर मोहब्बत

4.6
756

मोहब्बत को मंजिल मुकम्मल हो ये जरूरी नही

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लेखक के बारे में
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गोपाल यादव

लेखन..... ये वो काम है जिससे मैं कभी ऊब नही सकता ।। ये मुझे हमेशा ऊर्जा देता है।। दुनिया को देखने का नया नज़रिया देता है।।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Uma Vaishnav "Uma"
    11 अगस्त 2018
    बहुत ही उम्दा लेखन......... एक प्रेमी और प्रेमिका के दिल की व्‍यथा कि को बड़े ही सुंदर तरीके से लिखा अपने........ गोपाल जी...... यही एक अच्छे लेखक की पहचान होती है...... 👌 👌
  • author
    सोनम त्रिवेदी
    11 जून 2019
    बहुत उम्दा रचना। आपने जो जो लिखा है ये केवल वही लिख सकता है और केवल उसी के दिल में उतर सकता है जिसने ये दर्द झेल हो या बहुत नज़दीक से किसी को तड़पते देखा हो। बहुत ख़ूब
  • author
    Sayam Bihari
    15 जनवरी 2019
    वाह,खुबसूरत रचना ।।भावनाओं का खुबसूरत चित्रण । लगा आंखो से अश्क की बूंदे अब टपके पडेंगे ।प्रस्तुति ठीक ठाक प्रवाहमय।धन्यवाद ।
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    Uma Vaishnav "Uma"
    11 अगस्त 2018
    बहुत ही उम्दा लेखन......... एक प्रेमी और प्रेमिका के दिल की व्‍यथा कि को बड़े ही सुंदर तरीके से लिखा अपने........ गोपाल जी...... यही एक अच्छे लेखक की पहचान होती है...... 👌 👌
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    सोनम त्रिवेदी
    11 जून 2019
    बहुत उम्दा रचना। आपने जो जो लिखा है ये केवल वही लिख सकता है और केवल उसी के दिल में उतर सकता है जिसने ये दर्द झेल हो या बहुत नज़दीक से किसी को तड़पते देखा हो। बहुत ख़ूब
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    Sayam Bihari
    15 जनवरी 2019
    वाह,खुबसूरत रचना ।।भावनाओं का खुबसूरत चित्रण । लगा आंखो से अश्क की बूंदे अब टपके पडेंगे ।प्रस्तुति ठीक ठाक प्रवाहमय।धन्यवाद ।