इंजिनीयर, नवोदयन, प्रेमचंद का फैन।
सरल भाषा में कहानियां लिखने की कोशिश करता हूँ, ताकि सब समझ सके कहानियों को। उम्मीद है आपको मेरी कहानियां पसन्द जरूर आएंगी।
एक बार पढियेगा जरूर।
सारांश
इंजिनीयर, नवोदयन, प्रेमचंद का फैन।
सरल भाषा में कहानियां लिखने की कोशिश करता हूँ, ताकि सब समझ सके कहानियों को। उम्मीद है आपको मेरी कहानियां पसन्द जरूर आएंगी।
एक बार पढियेगा जरूर।
आभाव में जीते हुए मानव खुद को ढाल लेता है और जो शुरू में उसको समस्या प्रतीत होती है उनको वो अपने दैनिक जीवन का हिस्सा समझने लगता है।
लेकिन जब किसी आभाव को समस्या की तरह देखा जाता है तथा उसको हल करने का मन बना लिया जाता है तो वो समस्या ज्यादा समय तक नहीं टिक पाती।
नारी शक्ति तथा जन भागीदारी एक साथ मिल जाए तो कोई भी समस्या अधिक समय नहीं टिक सकती आवश्यकता है तो बस एक सकारात्मक सोच तथा उस ओर कदम आगे बढ़ाने की।
रिपोर्ट की समस्या
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आभाव में जीते हुए मानव खुद को ढाल लेता है और जो शुरू में उसको समस्या प्रतीत होती है उनको वो अपने दैनिक जीवन का हिस्सा समझने लगता है।
लेकिन जब किसी आभाव को समस्या की तरह देखा जाता है तथा उसको हल करने का मन बना लिया जाता है तो वो समस्या ज्यादा समय तक नहीं टिक पाती।
नारी शक्ति तथा जन भागीदारी एक साथ मिल जाए तो कोई भी समस्या अधिक समय नहीं टिक सकती आवश्यकता है तो बस एक सकारात्मक सोच तथा उस ओर कदम आगे बढ़ाने की।
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