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बर्फ की सिल

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3.9

मेरे बगल मंे लेटी हुई औरत के बदन पर तार भी नहीं था उसके जिस्म की गर्माहट में झुलसते हुए तमाम वक्त मेरे हाथों से फिसल चुका था, आज उसका वही बदन किसी बर्फ की सिल की तरह ठंडा लग रहा था। एहसास हो रहा था, ...