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बब्बा का घर

4.6
13604

उस रात मेरी ट्रेन लेट हो गयी। घडी ने 10 भी बजा दिए थे। वक़्त के हिसाब से तो मुझे घर पहुँच जाना चाहिए था लेकिन मैं अभी भी अपने क़स्बे के स्टेशन से 3 स्टेशन पहले किसी आउटर एरिया में थी। आँखों में नींद ...

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लेखक के बारे में

वो लिखती हूँ जो जिया है । उनके लिए लिखती हूँ जो जीती हैं पर लिख नहीं पाती । और लिखती हूँ शायद इसलिए जी रही हूँ । उम्मीद है जब तक जिऊँ , लिखती रहूँ :)

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Nirmal Agarwal
    04 मार्च 2019
    दिल को छू लेने वाली कहानी
  • author
    Rama Dalmia
    01 मार्च 2020
    बिछुड़ते संयुक्त परिवारों में अन्तर्निहित मानसिक सम्वेदना का इससे अधिक मार्मिक चित्रण पहले कभी नहीं पढ़ने को मिला ! लेखनी को नमन !🙏
  • author
    Kusum Sharma
    01 मार्च 2020
    बहुत बेहतरीन कहानी ,परिवार में ये सब होते रहता है ।पर कहानी के जैसे हकीकत में हो ये नही कहा जा सकता ।
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    Nirmal Agarwal
    04 मार्च 2019
    दिल को छू लेने वाली कहानी
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    Rama Dalmia
    01 मार्च 2020
    बिछुड़ते संयुक्त परिवारों में अन्तर्निहित मानसिक सम्वेदना का इससे अधिक मार्मिक चित्रण पहले कभी नहीं पढ़ने को मिला ! लेखनी को नमन !🙏
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    Kusum Sharma
    01 मार्च 2020
    बहुत बेहतरीन कहानी ,परिवार में ये सब होते रहता है ।पर कहानी के जैसे हकीकत में हो ये नही कहा जा सकता ।