पढ़ने का शौक तो मुझे अपने माता पिता से मिला था पर लिखने का शौक ना जाने किस छोटी उम्र में हावी हो गया पता ही नहीं चला| छोटी छोटी रचनाएँ करना ,कवितायेँ लिखना और उन्हें बच्चों की पत्रिकाओं में भेजना मेरी ...
हेलो मैम.. हमने अभी आपका ये छोटा सा जो पोस्ट है उसे पढ़ा और सच कहें तो आपने जो भी बातें शुरुआत में लिखी वह हमें बेहद पसंद आई.. या यूं कहे कि वह कहीं ना कहीं हम सभी के जीवन से जुड़ा हुआ एक ऐसा सच है... जिसे हर कोई समझ नहीं पाता... हर किसी के अंदर अपनी खुद की एक अलग क्वालिटी है एक अलग कला है... लेखन भी एक कला ही है जिसे अगर सही मार्गदर्शन मिले तो वह आसमान की ऊंचाइयों को छूता है... लेकिन जब उसे नकार दिया जाए या दबा दिया जाए तो बस एक किसी डायरी के पन्नों में ही दब कर रह जाता है....
आपने बिल्कुल सही कहा प्रतिलिपि एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसे हर उस छुपे हुए लेखक के जीवन में एक नई रोशनी की किरण भरी है... जिन्हें लिखने और पढ़ने का शौक है.. मुझे भी हिंदी कहानियां, कविताएं लिखने का और पढ़ने का दोनों का शौक है.... मैं भी अक्सर ऐसे ही सोचती थी जैसे आप सोचती थी... कि क्या कभी मैं अपनी कहानियों को लोगों तक पहुंचा पाऊंगी..... मुझे ग्रेट राइटर संजना किरोड़ीवाल मैम के एक युटुब चैनल के द्वारा पता चला था.. कि प्रतिलिपि में हम अपनी रचनाओं को लिख सकते हैं... उसे लोगों तक पहुंचा सकते हैं और उन्हीं के मार्गदर्शन से मैंने इस प्रतिलिपि ऐप को पहले कुछ दिन रचनाएं पढ़ी... मुझे बहुत अच्छा लगा कि मुझे हिंदी में रचनाएं पढ़ने को मिल रही है... उनके साथ में आपकी भी ढेरों रचनाएं या यूं कहे कि मैंने आपकी लगभग लगभग सभी रचनाएं जिनमें से 'बेहद' जिसका आपने जिक्र किया है मैंने उसे पढ़ा.. 'बेहद ही पसंद आया मुझे और अरमान और रिद्धिमा की जो स्टोरियां थी... वह तो इतनी ही पसंद है मुझे कि मैं बता नहीं सकती...
मैंने भी अपने रचना लिखी शुरू की है मेरी पहली रचना ही अभी मैं लिख रही हूं' इंतजार 'नाम से और दूसरी रचना भी मैंने अभी कुछ दिन पहले लिखनी शुरू करी है' आज सुकून ए जिंदगी 'के नाम से.... मैं चाहती हूं आप भी मेरी रचनाओं को पढें, उसे सपोर्ट करें और जैसा कि आपने बताया आप कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही हैं.... हम महादेव से प्रार्थना करेंगे कि वह आपको जल्द ही स्वस्थ करें ... जिससे आप हम सभी के लिए अपनी और भी प्यारी-प्यारी रचनाएं ला सकें... अगर हो सके तो प्लीज एक कहानी है अरमान और रिद्धिमा के नाम भी लिखेगा.... धन्यवाद मैम... 😃😃😇😇🙏🙏
हर हर महादेव 🙏🙏
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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मेरी कहानी भी कुछ इसी तरह...मेरे घर में न किसी को नहीं लगता की हर कोई लेखक बन सकता है। यानी की प्रेम प्रसंग से बच्चो की दूरी अनिवार्य है...और मुझे लगता है कहानी खुद प्रेम है किसी पाठक का...उसे प्रेम से दूर कैसे रखा जाएगा??
तो मैं लिखती हूं किसी को भी नहीं मालूम....और अगर किसी को बताया भी तो हो गया कल्याण। यहां पाठको को रोज ही पढ़ना होता है...लेकिन मैं चुपके से लिखती हूं तो दो तीन घंटे सिर्फ फ़ोन को ताकना जरा मुश्किल हो जाया है...इसीलिए लिखना ही छोड़ चुकी हूं मैं। कभी कभी बस लौट आती हूं खुद को याद दिलाने की...कलम से रिश्ता मेरा भी है।
वेल मैम, अरमान और रिद्धिमा को मिस किया जा रहा है।
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हेलो मैम.. हमने अभी आपका ये छोटा सा जो पोस्ट है उसे पढ़ा और सच कहें तो आपने जो भी बातें शुरुआत में लिखी वह हमें बेहद पसंद आई.. या यूं कहे कि वह कहीं ना कहीं हम सभी के जीवन से जुड़ा हुआ एक ऐसा सच है... जिसे हर कोई समझ नहीं पाता... हर किसी के अंदर अपनी खुद की एक अलग क्वालिटी है एक अलग कला है... लेखन भी एक कला ही है जिसे अगर सही मार्गदर्शन मिले तो वह आसमान की ऊंचाइयों को छूता है... लेकिन जब उसे नकार दिया जाए या दबा दिया जाए तो बस एक किसी डायरी के पन्नों में ही दब कर रह जाता है....
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मैंने भी अपने रचना लिखी शुरू की है मेरी पहली रचना ही अभी मैं लिख रही हूं' इंतजार 'नाम से और दूसरी रचना भी मैंने अभी कुछ दिन पहले लिखनी शुरू करी है' आज सुकून ए जिंदगी 'के नाम से.... मैं चाहती हूं आप भी मेरी रचनाओं को पढें, उसे सपोर्ट करें और जैसा कि आपने बताया आप कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही हैं.... हम महादेव से प्रार्थना करेंगे कि वह आपको जल्द ही स्वस्थ करें ... जिससे आप हम सभी के लिए अपनी और भी प्यारी-प्यारी रचनाएं ला सकें... अगर हो सके तो प्लीज एक कहानी है अरमान और रिद्धिमा के नाम भी लिखेगा.... धन्यवाद मैम... 😃😃😇😇🙏🙏
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तो मैं लिखती हूं किसी को भी नहीं मालूम....और अगर किसी को बताया भी तो हो गया कल्याण। यहां पाठको को रोज ही पढ़ना होता है...लेकिन मैं चुपके से लिखती हूं तो दो तीन घंटे सिर्फ फ़ोन को ताकना जरा मुश्किल हो जाया है...इसीलिए लिखना ही छोड़ चुकी हूं मैं। कभी कभी बस लौट आती हूं खुद को याद दिलाने की...कलम से रिश्ता मेरा भी है।
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