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प्रतिपालक

4.2
10735

पण्डित भगवानदास जी का भरा पूरा परिवार है। परिवार में सात बेटे, बेटों की पत्नियाँ। पन्द्रह पोते–पोतियों की किलकारियों के संगीत से हर वक्त एक मनोहारी वातावरण घर में बना रहता है। पण्डित जी स्वयं को ...

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लेखक के बारे में
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विजय 'विभोर'

एक साधारण सा प्राणी जो निरंतर स्वयं की ख़ोज में लगा हुआ है| लिखने का शौक है वह परमपिता परमात्मा जिन विचारों को मेरे मन में उत्पन्न करता है वही लघु कथा, कहानी, कविता, लेख के रूप में उतार देता हूँ| अभिनय का में रूचि है सो वह भी करने की कोशिश करता हूँ, लोग मुझे मेरे करेक्टर के नाम से पुकारते है तो लगता है उस करैक्टर को जी लिया है| बस इतना सा ही हूँ ......

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dr Kamal Satyarthi
    27 दिसम्बर 2018
    This happens most of the times when the near relatives refuse to donate blood for patient and an unkniwn person ir wven a healt worker or doctor donates it.
  • author
    Annapurna Mishra
    24 दिसम्बर 2018
    भावनाओं के चाशनी से लिपटी एक अच्छी कहानी,लेकिन ऐसे रामदिया नहीँ मिलते हैं और न ही अब इतना भरा पूरा परिवार ही मिलता है--शायद साथ में सहयोग नहीँ होने के कारण ही।
  • author
    Manisha Raghav
    02 जनवरी 2019
    मानवीय संवेदनाओं से पूर्ण कहानी
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  • author
    Dr Kamal Satyarthi
    27 दिसम्बर 2018
    This happens most of the times when the near relatives refuse to donate blood for patient and an unkniwn person ir wven a healt worker or doctor donates it.
  • author
    Annapurna Mishra
    24 दिसम्बर 2018
    भावनाओं के चाशनी से लिपटी एक अच्छी कहानी,लेकिन ऐसे रामदिया नहीँ मिलते हैं और न ही अब इतना भरा पूरा परिवार ही मिलता है--शायद साथ में सहयोग नहीँ होने के कारण ही।
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    Manisha Raghav
    02 जनवरी 2019
    मानवीय संवेदनाओं से पूर्ण कहानी