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पिता : एक पुत्र की नज़र से-------

3.8
24254

बाल कृष्ण शर्मा जी हिंदी लेखन जगत की नामचीन हस्तियोँ में शुमार थे। जितनी परिपक्व उनकी सोच उतनी ही आकर्षक उनकी लेखन शैली। हाँ थोड़े अपरंपरागत जरूर थे पर उनको पढ़ो तो स्वछंदता का ज़ायका ज़हन को तरोताज़ा कर ...

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लेखक के बारे में
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Harish Pandey

"बेधड़क सा जियूँ, बेफिकर सा रहूँ... हो रसूख़ यूँ मेरा, जैसे जिस्म में लहू!!!"

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Madhuri Shukla
    23 ডিসেম্বর 2018
    माँ के बिना घर ही सूना होता है लेकिन पिता के बिना तो सब कुछ खत्म हो जाता है , इसलिए जीवन मे पिता का भी होना महत्वपूर्ण है
  • author
    Kiran Rawat
    08 জানুয়ারী 2019
    Bilkul sahi likha hai aapne........ mere papa bhi bilkul ese hi hen....... unhone hamare liye bht tyag kiya hai n mummy ne isme unka poora sath nibhaya है......
  • author
    Vrunda H. Goud
    08 জানুয়ারী 2019
    मां की परेशानी सब को दिखती है, पर पिता की परेशानी किसी को दिखाई नहीं देती।
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    Madhuri Shukla
    23 ডিসেম্বর 2018
    माँ के बिना घर ही सूना होता है लेकिन पिता के बिना तो सब कुछ खत्म हो जाता है , इसलिए जीवन मे पिता का भी होना महत्वपूर्ण है
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    Kiran Rawat
    08 জানুয়ারী 2019
    Bilkul sahi likha hai aapne........ mere papa bhi bilkul ese hi hen....... unhone hamare liye bht tyag kiya hai n mummy ne isme unka poora sath nibhaya है......
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    Vrunda H. Goud
    08 জানুয়ারী 2019
    मां की परेशानी सब को दिखती है, पर पिता की परेशानी किसी को दिखाई नहीं देती।