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नाना का पैर

3.5
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नाना ने मुझे फोन पर बताया-”वे स्टेशन से सीधे घर पहुंच रहे हैं।” नाना को पता था आटो से घर पहुंचना सरल है। घर बन रहा था तब वे आए थे, उन्हें लेकिन कुछ सालों में हुए बदलावों का उन्हें पता नहीं था। खैर यह ...

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लेखक के बारे में

रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति 1 जून 1970 ग्राम सियलपुर तह सिरोंज जिला विदिशा शिक्षा - एम ए बीएड, फिल्म स्क्रिप्ट राइटिंग, इग्नू    प्रकाशन  आजकल, समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, कथादेश, हंस, परिकथा, आउटलुक, इंडियाटुडे, दैनिक भास्कर नवभारत, हिंदुस्तान, सहारा समय , लोकमत समाचार, आदि में कहानी कविताएं प्रकाशित।  कई साक्षत्कार राजेंद्र यादव, मैनेजर पांडे , कमलेश्वर, राजेश जोशी, विजय बहादुर सिंह, रमेश चन्द्र शाह  सम्मान  कहानी के लिए राजस्थान पत्रिका का   प्रथम पुरस्कार   कविता के लिए रजा सम्मान    पुस्तकें: कोलाज अफेयर मन का ट्रेक्टर  (कहानी संग्रह शीघ्र प्रकाश्य ) बाल कविताएं संप्रति  कोलाज  कला आर्ट पत्रिका का संपादन   पीपुल्स समाचार भोपाल में कार्यरत    पता - टॉप १२ हाई लाइफ काम्प्लेक्स चर्च रोड जहंगीरा बाद भोपाल  मोबा-9098410010 स्थाई पता  110 , आर एम पी नगर फेस 1 , विदिशा http://ravindraswapnil.blogspot.com www.kavitakoshravindraswapnil.com   

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    jeetu
    23 अगस्त 2019
    क्या था ये । कहानी का उददेश्य समझा दीजिये । please
  • author
    Neetu Sharma
    24 जनवरी 2019
    Beautiful story
  • author
    Arun Kumar
    25 दिसम्बर 2019
    कहानी मैं कहीं भी कृत्रिमता नहीं लगती, ईसीलिये मन लग जाता है पढ़ने में।
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    jeetu
    23 अगस्त 2019
    क्या था ये । कहानी का उददेश्य समझा दीजिये । please
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    Neetu Sharma
    24 जनवरी 2019
    Beautiful story
  • author
    Arun Kumar
    25 दिसम्बर 2019
    कहानी मैं कहीं भी कृत्रिमता नहीं लगती, ईसीलिये मन लग जाता है पढ़ने में।