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दुल्हन सी धरती

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धुँध की चादर ओढ़ के लेटी नव दुल्हन सी धरती सिमटे सारे अंग,सिहरती सी लगती है धरती। हरियाली साड़ी भी थोड़ी अस्त व्यस्त लगती है पानी सी कोमल चमड़ी, कितनी नाजुक लगती है। भोर के पंछी यदा कदा,ज्यों मच्छर उड़े ...

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