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तेरे बग़ैर भी सँवर जाऊँगा।

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प्रेमवियोग

एक तू न मिल सका तो क्या वहशत पर उतर जाऊँगा। मैं तेरे ठुकरा देने से भला क्या रत्ती भर हो जाऊंगा। जा तुझे तेरी रुखसत पर तुझे लख लख बधाई। मैं इस वादे के साथ चलता हूँ, अपनी शक्ल नही दिखाऊंगा। मैं थोड़ी ...

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लेखक के बारे में
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adarsh panne

आदर्श की कोशिश कलम से अक्षरों को ढांचे में डालकर संस्कृति के लिए विशेष ढाल बनाने की

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