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तुम मेरी हो

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4.7

यूँ लाज का दामन थामे होआँखों में प्रीत छुपाये होखामोशी के अलख जगाये होरोम रोम से किरणें फूटेंतमस दूर हो,ज्योति यूँ छलकेजीवन के नूतन अर्थ उभरतेतुमको देख नयन छलकतेजीने के हैं राग पनपतेसुख दुख के ...