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झरना और पर्वत

4.5
332

झरना और पर्वत आपस में टकराये रस्ते पर। पर्वत अकड़ के बोला झरने, चलना राह बचाकर॥ मुझसे जो टकराये बेटा, चूर-चूर हो जाये। तेरी क्या औकात है जो तू मेरे रस्ते पर आये॥ अकड़ भरी थी पर्वत में, झरना है प्यार का ...

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समीक्षा
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  • author
    अभिनव राज
    15 जुलाई 2022
    बेहतरीन । मन प्रसन्न हो गया पढ़ कर ।
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    अभिनव राज
    15 जुलाई 2022
    बेहतरीन । मन प्रसन्न हो गया पढ़ कर ।