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"जीन्स थैरेपी से सुधरे अपराधी" (रोमांचक विज्ञान कथा)

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कहानी -- "जीन्स थैरेपी से सुधरे अपराधी" ऑपरेशन के बाद, चारों लोगों को उनके कमरों में अलग-अलग शिफ्ट कर दिया गया था। दरअसल, आदमी के शरीर में जो जीन्स होते हैं, उनके स्ट्रक्चर में कुछ बदलाव करने के ...

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लेखक के बारे में
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सुनील आकाश

मेरा मोबाइल नम्बर है : 8899144803. मैं हिंदी लेखक हूँ । असली नाम है -- सुनील रस्तोगी (पुत्र स्व.राजेन्द्र प्रसाद रस्तोगी)। पिछले 40 वर्षों से लेखन में हूँ। अब भी यह सफर जारी है। उपन्यास, कहानी, गीत, ग़ज़ल, कविताएँ व अखबारों के लिये संपादकीय लेख लिखता रहा हूँ। 'प्रतिलिपि' पर मेरे 30 उपन्यास प्रकाशित हैं। इनमें से 5 उपन्यास प्रिंटेड बुक्स के रूप में भी आ चुके हैं। शेष सब 'प्रतिलिपि' पर ऑनलाइन प्रकाशित हैं। 'देखा प्यार तुम्हारा', 'तुम बिन', 'नज़राना', 'मेरी लाश कहाँ गई' के बाद अब 'सोलमेट' उपन्यास प्रकाशित हो रहा है। "प्रतिलिपि" पर आने से पहले भी, मेरे सैकड़ों कहानियाँ, गीत, ग़ज़ल व अन्य लेखादि देश के चिर-परिचित अखबार या पत्रिकाओं में दशकों से छपते रहे हैं; जैसे---पंजाब केसरी, विश्व मानव, सानुबँध, जाह्नवी, धर्मयुग, कथालोक, कथाबिम्ब, विश्व ज्योति, दर्पण, जग़मग दीप ज्योति, सुपर ब्लेज आदि। शिक्षा :'पी.जी.डी.--जर्नलिज्म', बी.ए. (हिंदी), 'कहानी लेखन' में डिप्लोमा। आयुर्वेद से 'चिकित्सा स्नातक' की डिग्री भी। व्यवसाय : शैक्षिक पुस्तकों के "गोयल ब्रदर्स प्रकाशन, नोएडा" के सम्पादकीय विभाग के 'हिंदी प्रभाग' में थे। (अब रिटायर्ड) पुरस्कृत-सम्मानित रचनाएँ : टेलीग्राम (कहानी, प्रथम पुरस्कार), बदलते रिश्ते (उपन्यास, द्वितीय पुरस्कार), शेषनाग, जलती हुई तीलियाँ, अंधेरी गुफ़ा, रेगिस्तान आदि (तृतीय पुरस्कार प्राप्त) कहानियां हैं। सम्मान : प्रेमचंद लेखक पुरस्कार, 'साहित्य श्री' अवार्ड, प्रतिलिपि कहानी सम्मान आदि। निवास : सी-26, रेलवे रोड, मॊदीनगर-201204 (उ.प्र.)

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