pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

खूनी ढाबा ( भाग-2)

6483
4.1

दरवाजे के तरफ मुड़ते ही अचानक रमेश को लगता है कि खिड़की के शीशे से दो अंगार बरश्ते लाल निगाहे उन पर अपनी नजर रखी हुई थी।