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कथा:कितनी बोल्ड लड़की है।

3.7
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उस डिस्कोथेक में बजते संगीत के तीव्र संगुफ़न में थिरकती भीड़ में नताशा अपनी जिस्म नुमाइश करती पोशाक और बेइंतहा खूबसूरती की वजह से अलहदा दिख रही थी।उसकी नंगी पीठ पर आरास्ता टैटू और नाफ़ पर काबिज ...

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लेखक के बारे में
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Pawan Srivastava

कुछ यूं दिलचस्प हमारा अंदाज़े-क़िस्सागोई होता है कि खुद कहानी भी हमें बड़ी शिद्दत से दाद देती है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Diya
    17 अप्रैल 2018
    कुछ दोहरी मानसिकता के लिए किसी को सही नही कह सकते महिला या पुरुष । लेकिन कुछ ऐसी महिलाओं के बाकी सभी बोल्ड महिलाओं को भी समाज दुश्चरित्र की संज्ञा दी देता है।
  • author
    Mukesh Ram Nagar
    04 जून 2018
    सबकुछ यहाँ पैसे से तौला जाता है। सुंदर रचना👌👌
  • author
    कहानी Café
    17 मई 2018
    शानदार। दिलचस्प क़िस्सागोई। सबसे अच्छा लगा उर्दू अल्फ़ाज़ों का बेहद मौज़ू इस्तमाल। मर्द-औरत की बरबदारी और फ़र्ज़ी फेमिनिज़्म को बेपर्दा करती मेरी एक कहानी "वो लड़की" से मिलता जुलता सा टाइटल लगा तो रुक कर पढ़ी ये कहानी। अच्छा लगा।
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    Diya
    17 अप्रैल 2018
    कुछ दोहरी मानसिकता के लिए किसी को सही नही कह सकते महिला या पुरुष । लेकिन कुछ ऐसी महिलाओं के बाकी सभी बोल्ड महिलाओं को भी समाज दुश्चरित्र की संज्ञा दी देता है।
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    Mukesh Ram Nagar
    04 जून 2018
    सबकुछ यहाँ पैसे से तौला जाता है। सुंदर रचना👌👌
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    कहानी Café
    17 मई 2018
    शानदार। दिलचस्प क़िस्सागोई। सबसे अच्छा लगा उर्दू अल्फ़ाज़ों का बेहद मौज़ू इस्तमाल। मर्द-औरत की बरबदारी और फ़र्ज़ी फेमिनिज़्म को बेपर्दा करती मेरी एक कहानी "वो लड़की" से मिलता जुलता सा टाइटल लगा तो रुक कर पढ़ी ये कहानी। अच्छा लगा।