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एक भाईदूज ऐसी भी...(त्योहारों का सीजन में दसवां स्थान, फिजिकल सर्टिफिकेट से सम्मानित)

4.8
101

आज रमा सुबह सवेरे ही उठ गई थी। जाने कितने दिनों से उसे इस दिन का इंतज़ार था। उसने तैयार होते हुए अपनी माँ को आवाज़ लगाई,"माँ, मैं बस निकलूँगी अभी थोड़ी देर में और तुम हो कि अभी तक रसोईघर में ही हो!! ...

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लेखक के बारे में

प्रतिलिपि टीम और सभी पाठकों को मेरा सादर प्रणाम। लिखने और पढ़ने का शौक़ बचपन से ही था। प्रतिलिपि के रूप में एक अच्छा प्लेटफॉर्म मिला उसके लिए आपका धन्यवाद। आशा करती हूं अपने लेखन से आप सबका मन जीत सकूँ। अपने प्रिय पाठकों से यही अनुरोध करती हूँ कि अगर आपको मेरी रचनाएँ पसंद आती है तो कृपया समीक्षा ज़रूर दे। आपकी समीक्षाएँ ही तो हम लेखकों को और भी अच्छा लिखने को प्रेरित करती है। बहुत आभार। रश्मि त्रिवेदी

समीक्षा
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  • author
    Kiran Pareek
    03 फ़रवरी 2023
    बहुत ही शानदार बेहतरीन उत्कृष्ट प्रस्तुति,, बहुत हृदयस्पर्शी मार्मिक भावपूर्ण प्रस्तुति 🙏🙏👏👏👏👌👌👌🌻🌻🌻
  • author
    01 दिसम्बर 2022
    बहुत सुंदर कहानी । अद्भुत कल्पना जो कि यथार्थ के बहुत निकट है। पुरस्कृत होने की बहुत बधाईयाँ
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    Kiran Pareek
    03 फ़रवरी 2023
    बहुत ही शानदार बेहतरीन उत्कृष्ट प्रस्तुति,, बहुत हृदयस्पर्शी मार्मिक भावपूर्ण प्रस्तुति 🙏🙏👏👏👏👌👌👌🌻🌻🌻
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    01 दिसम्बर 2022
    बहुत सुंदर कहानी । अद्भुत कल्पना जो कि यथार्थ के बहुत निकट है। पुरस्कृत होने की बहुत बधाईयाँ