आज रमा सुबह सवेरे ही उठ गई थी। जाने कितने दिनों से उसे इस दिन का इंतज़ार था। उसने तैयार होते हुए अपनी माँ को आवाज़ लगाई,"माँ, मैं बस निकलूँगी अभी थोड़ी देर में और तुम हो कि अभी तक रसोईघर में ही हो!! ...
प्रतिलिपि टीम और सभी पाठकों को मेरा सादर प्रणाम।
लिखने और पढ़ने का शौक़ बचपन से ही था। प्रतिलिपि के रूप में एक अच्छा प्लेटफॉर्म मिला उसके लिए आपका धन्यवाद।
आशा करती हूं अपने लेखन से आप सबका मन जीत सकूँ। अपने प्रिय पाठकों से यही अनुरोध करती हूँ कि अगर आपको मेरी रचनाएँ पसंद आती है तो कृपया समीक्षा ज़रूर दे। आपकी समीक्षाएँ ही तो हम लेखकों को और भी अच्छा लिखने को प्रेरित करती है।
बहुत आभार।
रश्मि त्रिवेदी
सारांश
प्रतिलिपि टीम और सभी पाठकों को मेरा सादर प्रणाम।
लिखने और पढ़ने का शौक़ बचपन से ही था। प्रतिलिपि के रूप में एक अच्छा प्लेटफॉर्म मिला उसके लिए आपका धन्यवाद।
आशा करती हूं अपने लेखन से आप सबका मन जीत सकूँ। अपने प्रिय पाठकों से यही अनुरोध करती हूँ कि अगर आपको मेरी रचनाएँ पसंद आती है तो कृपया समीक्षा ज़रूर दे। आपकी समीक्षाएँ ही तो हम लेखकों को और भी अच्छा लिखने को प्रेरित करती है।
बहुत आभार।
रश्मि त्रिवेदी
बधाई हो! एक भाईदूज ऐसी भी...(त्योहारों का सीजन में दसवां स्थान, फिजिकल सर्टिफिकेट से सम्मानित) प्रकाशित हो चुकी है।. अपने दोस्तों को इस खुशी में शामिल करे और उनकी राय जाने।
रिपोर्ट की समस्या
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