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उठ द्रोपदी शस्त्र उठा अब गोविंद न आएंगे

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अब समाज से कोई उम्मीद नही रखनी होगी स्वयं के लिए लड़ना होगा। देखना एक बार पहल हो जाए महिलाएं दुनिया बदल कर रख देगी। हाथ में श्रधांजलि के लिए मोमबतियां नही दुष्टों को जलाने मशाल होनी चाहिंए।