दीपावली करीब थी और उदास सी अपेक्षा एक कमरे में पड़ी हुई थी। तभी उसकी बहन प्रतीक्षा और भाई सोहम आये। "दीदी , देखो न! पापा ने कितने सारे पटाखे खरीदे!" चौदह वर्षीय सोहम बोला। उसके हाथों में ...
बहुत ही सुंदर रचना अपेक्षा और अंकुश की।
पहले तो दुखी थे सब ,पर अंत भला तो सब कुछ ठीक हो जाता है। हां वो बात अलग है कि बच्चा खोने का गम कोई कम नहीं कर सकती,पर कोशिश कर सकते हैं दुख कम करने की।
सुंदर कहानी 👌👌👌👌👌👍👍👍👍👍💐💐💐
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पहले तो दुखी थे सब ,पर अंत भला तो सब कुछ ठीक हो जाता है। हां वो बात अलग है कि बच्चा खोने का गम कोई कम नहीं कर सकती,पर कोशिश कर सकते हैं दुख कम करने की।
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