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आयुष्यातले पहिले मोठे यश #100 शब्दांची मराठी गोष्ट#

4.6
1966

मी इंदौर ला नौकरी करत अस्ताना काका, काकु, आत्या व आजी सोबत राहयाचे. एके दिवशी काकुनी चुलत बहिण व इतर काही नातेबायकांन्ना जेवायला बोलावले आणि पुरण करायचे ठरविले.मी आई ला नेहमी पुरण करताना बघायची ...

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लेखक के बारे में
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आरती अयाचित

मुझे लेख, कविता एवं कहानी लिखने और साथ ही पढ़ने का बहुत शौक है । मैं नवोदय विद्यालय समिति, क्षेत्रीय कार्यालय, भोपाल ( केन्द्रीय सरकार के अधीन कार्यरत एक स्वायत्त शासी संस्थान) की पूर्व कर्मचारी रही हूं । कार्यालयीन अवधि में हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी पखवाड़ा के तहत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं जैसे निबंध, भाषण, वाद विवाद एवं कविता पाठ में हिंदी अधिकारी एवं उपायुक्त महोदय द्वारा पुरस्कृत भी किया जा चुका है । एकता की जान है हिंदी , भारत देश की अस्मिता है हिंदी । हिंदी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ हमेशा देते हुए प्रतिलिपि समूह पर अपनी लेखनी के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत करने का एक छोटा सा प्रयास कर रही हूं । सेवा में धन्यवाद प्रस्तुति ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Kamal Patadiya
    11 സെപ്റ്റംബര്‍ 2020
    अति सुन्दर!!! .......अब स्त्री की सघर्ष कथाए और सफलता की कहानी पढ़िए https://hindi.pratilipi.com/series/iqmym7thikwl
  • author
    Umesh Patel
    20 ജൂലൈ 2020
    आई नी शिकवलेली गोष्ट कुठे पण कामाला येऊ शकते !! आणि महणून नेहमी असं काही शिकत राहायचं // ❣️//
  • author
    Nisha Mahajan
    24 ജൂലൈ 2020
    पुरण पोळी बनविणे सर्वाना जमत नाही । छान लिहिलं तुम्ही । 👌👌
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    Kamal Patadiya
    11 സെപ്റ്റംബര്‍ 2020
    अति सुन्दर!!! .......अब स्त्री की सघर्ष कथाए और सफलता की कहानी पढ़िए https://hindi.pratilipi.com/series/iqmym7thikwl
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    Umesh Patel
    20 ജൂലൈ 2020
    आई नी शिकवलेली गोष्ट कुठे पण कामाला येऊ शकते !! आणि महणून नेहमी असं काही शिकत राहायचं // ❣️//
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    Nisha Mahajan
    24 ജൂലൈ 2020
    पुरण पोळी बनविणे सर्वाना जमत नाही । छान लिहिलं तुम्ही । 👌👌