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आजाद हिंद

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अब किसी का जोर नहीं , न पहरे हैं न यंत्र कयोंकि ये है सबसे बड़ा भारत लोकतंत्र अब किसी से रुकेगा नहीं, भारत है स्वतंत्र जब याद आती है, कुरबानी उन वीरो की खून भरे थे हाथ जिनके, बंधी थी ...

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लेखक के बारे में
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Jitendra Mosalpuriya

भलाई सबकी करो, स्वार्थ को कभी आगे बढ़ने मत दो। वरना तो ज़िंदगी ही स्वार्थ बन जाएगी।मेरा उद्देश्य सबके चेहरे पर मुस्कराहट लाना है न कि किसी का दिल दुखाना ,मेरी सारी रचनाए स्वरचित है

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    संध्या बक्शी
    20 अप्रैल 2019
    कविता देशभक्ति की हो तो , झुक कर नमन करना बनता है । बहुत खूब लिखा आपने । जयहिंद ! जय भारत !
  • author
    Asha Shukla ""Asha""
    08 अप्रैल 2019
    🌺🌺वाह!!!👌👌💐💐बहुत ही सुंदर कविता!!🌺🌺
  • author
    Shreya Chaturvedi
    22 अप्रैल 2019
    super 👌
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  • author
    संध्या बक्शी
    20 अप्रैल 2019
    कविता देशभक्ति की हो तो , झुक कर नमन करना बनता है । बहुत खूब लिखा आपने । जयहिंद ! जय भारत !
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    Asha Shukla ""Asha""
    08 अप्रैल 2019
    🌺🌺वाह!!!👌👌💐💐बहुत ही सुंदर कविता!!🌺🌺
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    Shreya Chaturvedi
    22 अप्रैल 2019
    super 👌