अब किसी का जोर नहीं , न पहरे हैं न यंत्र कयोंकि ये है सबसे बड़ा भारत लोकतंत्र अब किसी से रुकेगा नहीं, भारत है स्वतंत्र जब याद आती है, कुरबानी उन वीरो की खून भरे थे हाथ जिनके, बंधी थी ...
भलाई सबकी करो, स्वार्थ को कभी आगे बढ़ने मत दो। वरना तो ज़िंदगी ही स्वार्थ बन जाएगी।मेरा उद्देश्य सबके चेहरे पर मुस्कराहट लाना है न कि किसी का दिल दुखाना ,मेरी सारी रचनाए स्वरचित है
सारांश
भलाई सबकी करो, स्वार्थ को कभी आगे बढ़ने मत दो। वरना तो ज़िंदगी ही स्वार्थ बन जाएगी।मेरा उद्देश्य सबके चेहरे पर मुस्कराहट लाना है न कि किसी का दिल दुखाना ,मेरी सारी रचनाए स्वरचित है
रिपोर्ट की समस्या
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