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सकारात्मक और नकारात्मक समीक्षाओं को कैसे मैनेज करें-अपर्णा

04 ഏപ്രില്‍ 2023

प्रिय लेखक !

 

हम आशा करते हैं कि आपका लेखन हरेक आने वाले दिन के साथ निखर रहा है।

 

लिखने के इस सफर में अनेक बाधाएं आना स्वाभाविक है। और उन्हीं बाधाओं में से एक है। "नकारात्मक समीक्षाएं " पाठकों से मिली नकारात्मक समीक्षाएं किसी भी लेखक का मनोबल गिराकर उन्हें असहज महसूस करवा सकती हैं। वहीँ सकारात्मक समीक्षाएं उत्साह को बढ़ा देती हैं। ऐसे में एक लेखक के लिए नकारात्मक व सकारात्मक दोनों तरह की समीक्षाओं को मैनेज करना आना चाहिए।

 

हमें प्रतिलिपि पर इसी टॉपिक पर लिखा एक लेख मिला जिसे बड़े ही मजेदार ढंग से प्रतिलिपि की अनुभवी लेखिका अपर्णा जी ने लिखा है। उस लेख को हम यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं। इस विश्वास के साथ कि आपके लिए मददगार साबित हो ।


“सकारात्मक और नकारात्मक समीक्षाओं को कैसे मैनेज करें?

 

जब कभी आप किसी सोशल प्लेटफॉर्म पर अपने विचार रखते हैं या लिखते हैं, तब आपको हर तरह की समीक्षा और टिप्पणियों के लिए तैयार रहना पड़ता है..

 

भई जब कपिल शर्मा जैसे सेलिब्रिटी स्टार ट्विटर पर अपने कमेंट पर इतनी सारी आलोचनाएं सुनते हैं तो फिर हम किस खेत की मूली है..? जरूरी नहीं कि आप की लिखी कहानी, लेख या कविता पर हर बार आपको सिर्फ तारीफ ही सुनने को मिले.. ! जब तारीफ सुनने को मिलती है तो हम में से हर कोई फूलकर कुप्पा हो जाता है और हम खुशी से भर जाते हैं लेकिन ऐसा हर बार होना संभव नहीं है..

 

सकारात्मक समीक्षाएं तो हम सभी को भाती है, लेकिन नकारात्मक समीक्षा दिल को चुभ जाती है !

 तो आइए मैं आपसे साझा करती हूं कि मैं अपनी कहानियों पर पाठकों की समीक्षाओं को कैसे मैनेज करती हूं...

नकारात्मक समीक्षाओं को कैसे मैनेज करें.. :-

 

1) तुरंत प्रतिक्रिया देने से बचें:-

अक्सर होता है कि एक लेखक बहुत मेहनत से अपनी कहानी को तैयार करता है, और कहानी तैयार करने के बाद पोस्ट करता है..तब वह खुद इसी इंतजार में बैठा होता है कि, पाठक उसकी कहानी का कैसे स्वागत करते हैं ? ऐसे में अगर किसी पाठक ने एक सितारा चमका कर आपकी कहानी की बुराई लिख दी तो लेखक को बुरा लगना लाजिमी है !!

 

लेकिन.... ऐसे में जब आप तुरंत उस कहानी की समीक्षा पर प्रतिक्रिया देते हैं तो, अक्सर गलत शब्दों का चुनाव करके अपनी भड़ास निकाल जाते हैं ! और भावुकता और जल्दबाज़ी में हमारे द्वारा किया गया गलत शब्दों का चुनाव सिर्फ उस पाठक को हमारी तरफ से जवाब नहीं होता, बल्कि हमारी पूरी इमेज को दर्शाती हमारी तस्वीर होती है...!

 

ऐसा मौका पड़ने पर मै अक्सर उस वक्त तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं देती हूँ !! और वहाँ से हट कर अपना दिमाग दूसरी तरफ लगा लेती हूँ !!

  

एक दिन बीत जाने के बाद अक्सर ऐसी नकारात्मक समीक्षाओ का असर कम हो जाता है, तब सोच समझ कर उस समीक्षा का उत्तर लिखने का प्रयास करती हूँ.. ! मेरी कोशिश हमेशा यही रहती है कि, किसी भी तरह का विवाद खड़ा ना हो ! मेरे दिमाग में हमेशा यह बात रहती है कि, मैं अपनी ख़ुशी के लिए लिख रहीं हूँ, और अगर मेरे लेखन के कारण मुझे मिली प्रतिक्रिया से मुझे दुःख हो रहा है तो, उसका उल्टा जवाब देकर मै अपना दुःख और बढ़ाने की जगह कुछ अच्छा लिख कर अपना मूड रिफ्रेश करने की कोशिश करती हूँ..

 

और अक्सर जब मैं अपने रचे किरदारों की दुनिया में चली जाती हूं तो मेरा मूड एकदम फ्रेश हो जाता है... और वापस आने के बाद जब मैं उस नकारात्मक समीक्षा को दोबारा पढ़ती हूं तो मेरा सारा गुस्सा मेरी मुस्कान में बदल जाता है !आप भी आज़मा के देखिये !

 

2 )शब्दों के पीछे छिपे भाव समझने की कोशिश करना :-

बहुत बार पाठक हमारी कहानी के पार्ट्स जल्दी पढ़ने की उत्सुकता में भी हमें नकारात्मक समीक्षा से नवाज देते हैं | ऐसे में उनके शब्दों के पीछे छिपे भावों को समझकर ही हमें उनकी समीक्षा पर टिप्पणी करनी चाहिए!

 

3) नजरअंदाज करना सीखें:-

कभी-कभी कुछ पाठक ऐसे होते हैं जो किसी लेखक के पीछे हाथ धोकर पड़ जाते हैं ! ऐसे में वह लेखक को इरिटेट करने के लिए, बिना वजह परेशान करने के लिए नकारात्मक समीक्षा और रेटिंग गिराने का काम करते हैं ! ऐसे में हम लेखक और तो ज्यादा कुछ कर नहीं सकते इसलिए इतना ही कहूंगी कि ऐसे समय में भी धैर्य रखकर ऐसे पाठकों को नजरअंदाज करिए ! और अगर परेशानी हद से ज्यादा बढ़ जाए तो, ऐसी समीक्षाओं को रिपोर्ट कर दीजिए ! प्रतिलिपि इस पर तुरंत एक्शन लेता है और ऐसी समीक्षा को हटा कर ऐसे पाठकों को ब्लॉक कर देता है !

 

4) तुलना पर बौखलाये नहीं :-

बहुत बार कुछ पाठक लेखकों की कहानी पर आरोप सा गढ़ देते हैं कि आप की कहानी किसी अन्य कहानी से प्रभावित लग रही है, ऐसे में लेखकों को एक बार फिर से धैर्य रख के उस हिस्से के बारे में पाठक से चर्चा करनी चाहिए कि आखिर उन्हें लेखक के मौलिक लेखन में कैसे किसी अन्य कहानी की छाप नजर आ रही है..?

क्योंकि बहुत बार ऐसा होता है कि दो लेखकों की सोच भी एक जैसी हो सकती है, और इसीलिए कहानी के कुछ हिस्से किसी अन्य कहानी या उपन्यास आदि से मिलते जुलते हो सकतें हैं..!

ऐसे में शांति से चर्चा करना ही ज्यादा लाभप्रद होता है बनिस्बत पाठक पर लाठी लेकर टूट पड़ने के.. !

 

अब कुछ बिंदु सकारात्मक समीक्षाओं के लिए :-

सकारात्मक समीक्षाएं हमेशा लेखक के उत्साह को दुगुना चौगुना कर देती हैं ! इन समीक्षाओं से पाठक और लेखक के बीच एक रिश्ता सा बन जाता है प्रतिलिपि पर तो जाने कितने सारे ऐसे रिश्ते बन चुके हैं, जिनसे ना कभी मिलना हुआ है और ना ही कोई जान पहचान है, लेकिन एक पाठक की समीक्षा और एक लेखक की कहानी के बीच का गहरा नाता इनके बीच बन चुका है!

 

सकारात्मक समीक्षाएं भी कई तरह की होती हैं...

1) बहुत से पाठक अपने लेखक की कहानी में आगे जो पढ़ना चाहते हैं उसे समीक्षा के माध्यम से बता देते हैं...!!

2)कुछ पाठक ऐसे भी होते हैं कि बड़ी समझदारी से कहानी में लिखी कमियों को अपने सुंदर शब्दों से समीक्षा का रूप देकर लेखक को समझा देते हैं..!!

3)वहीँ कुछ पाठक ऐसे बेहतरीन तरीके से समीक्षा लिखते हैं कि लेखक को बहुत बार समीक्षा से ही कहानी में आगे क्या लिखना है, इसका आईडिया मिल जाता है..!!

4) कुछ पाठक लेखक के सम्मान में उनकी कुछ बड़े साहित्यकारों से तुलना भी करते है और ज़ाहिर है आज के लेखकों की तुलना अगर श्रेष्ठ साहित्यकारों से हो तो बड़ा अच्छा लगता है...!

5)कुछ पाठक बहुत खूबसूरत शब्दों में काव्यात्मक समीक्षा लिखते हैं इन्हें पढ़ने का भी लेखकों को अलग ही मजा मिलता है!

 

सकारात्मक समीक्षाएं सिर्फ लिखने का ज़ज़्बा ही नहीं बढाती बल्कि एनर्जी बूस्टर का भी काम करती हैं !! इसलिए तो लेखक जब तब यहीं गुहार लगाते नज़र आते हैं कि हमारी कहानी को अपनी कीमती समीक्षाओं से नवाज़िये..आशा करती हूं समीक्षाओं पर प्रतिक्रिया के विषय में लिखा यह छोटा सा लेख नए लेखकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा..

 

वैसे तो प्रतिलिपि पर सभी लेखक बेहद ऊर्जावान, जुझारू और समझदार हैं !!  और सभी लेखकों का पाठकों की समीक्षाओं पर प्रतिक्रिया देने का अपना-अपना तरीका है..!!  मैं किसी भी लेखक के तरीके को अनुचित या गलत नहीं कह रही हूं, सभी अपने हिसाब से उचित प्रतिक्रिया ही देते हैं..|

  

 ऊपर लिखे बिंदु मैंने अपनी प्रतिक्रिया के हिसाब से लिखे हैं…… अगर नए लेखकों को मददगार लगते हैं तो मुझे बड़ी खुशी होगी| जल्दी ही किसी तीसरे मसले पर अपने विचार रखूंगी……तब तक मेरे पाठकों से गुजारिश है कि मुझे पढ़ते रहिए और लंबी-लंबी समीक्षाएं लिखते रहिए !”

 

धन्यवाद।

अपर्णा

अपर्णा जी का प्रोफ़ाइल लिंक-https://hindi.pratilipi.com/user/aparna-r1xb199437