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लेखन की शुरुआत और उससे जुड़े अनुभव

26 अक्टूबर 2023

प्रिय लेखक!

प्रतिलिपि पर हमारे कुछ लेखकों ने अपना लेखन सफर और कुछ टिप्स साझा किए हैं, हम उन सभी की झलक और पूरे आर्टिकल का लिंक दे रहे हैं !आशा करते हैं इसे पढ़ना आपके लिए आनंददायक रहेगा !

 

-“समय बीतता गया। जीवन में भारी उतार चढ़ाव के साथ कभी दिल्ली,कभी गांव में आते जाते,मैने पोस्ट ग्रेजुएशन कर लिया। फिर गृहस्थी बाल बच्चों के झंझट में ऐसा फंसी कि न पढ़ने की फुरसत रही और न अन्य किसी काम की।लेकिन पढ़ने का शौक बरकरार रहा। कभी कोई पत्रिका मिल जाती तो पढ़ती थी।”--आशा शुक्ला (पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

-“क़िस्सों,कहानियों,और कविताओं के लिए वक़्त निकालते हुए हम ख़ुदको लिखना ही भूल जाते है। लेकिन “दीप्ति विश्वास (पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

-“करत करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान।। तो प्रिय लेखकों आपकी कलम ही वो रस्सी है जो प्रतिलिपि रूपी 'सिल' अर्थात पत्थर पर अपने निशान बना सकती है। यहां ध्यान रखने” प्रतिज्ञा सिंह (पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

-“जैसा कि आप सब जानते हैं वर्ष 2021 में प्रतिलिपि पर कलमकार प्रतियोगिता के आने से पहले मैं सिर्फ कहानियां लिखती थी, धारावाहिक नहीं। ... “शिखा श्रीवास्तव "अनुराग" (पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

-”एक दिन उन्होंने कहानी भेजने को बोला। मेमसाहब कहानी तो थी ही मेरे पास, मैं ने तुरत भेजी और उनकी प्रतिक्रिया चाही।शैली को कहानी अच्छी लगी और फिर साइट पर भी आ गई। उस कहानी को पाठकों का जबरदस्त प्यार मिला।कई अच्छे और सकारात्मक कमेंट्स भी आए जिन्होंने मेरे खोये आत्मविश्वास को फिर से वापस लाने में बड़ी भूमिका  निभाई।इसके बाद फिर से साहित्य की दूसरी पाली मैं ने पूरे जोशो खरोश से शुरू की और आज साहित्यिक दुनिया का एक जाना पहचाना नाम हो चुकी हूं।- वीणा वत्सल सिंह (पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक कीजिए

“उसके बाद मैं प्रतिलिपि पर लगातार लिखते गई जहां काफी लोगों ने मेरा उत्साह बढ़ाया वहीं काफी लोगों ने नकारात्मक समीक्षा देकर मेरा उत्साह तोड़ने की कोशिश की, उस समय कई लोगों द्वारा दी गई नकारात्मक समीक्षाओं से मैंने सीखने की कोशिश की यह जानने की कोशिश की कि मेरी रचनाओं में आखिर क्या कमी है और उन्हें सुधारने की कोशिश की --ममता मीना, पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ पर  क्लिक कीजिए !

“तब सबने ऐसे देखा मानो मैं अजूबा हूं।आजतक इस शौक की खबर उन्हे छोड़ो मुझे ही नही थी,फिर उन्हे कैसे पता चलती? ये तो प्रतिलिपि पर आने के बाद मैने जाना कि मैं भी लिख सकती हूं और लिखते लिखते अब लेखिका के तौर पर जब लोग बुलाते हैं,तो इतनी खुशी होती है,जिसे शब्दो में बयान नहीं कर सकती।- ज्योत्सना, पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक कीजिए !