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लेखनी की कहानी लेखकों की जुबानी !

13 अक्टूबर 2023

प्रिय लेखक/ पाठक !

आज हम आपको प्रतिलिपि मंच के कुछ ऐसे लेखको से मिलाने वाले हैं जो मंच पर एक्टिव हैं! उन्होंने अपना लेखन सफर साझा किया है साथ ही कुछ टिप्स भी जो नये लेखकों के लिए बेहद उपयोगी हो सकते हैं !ये सभी ब्लॉग प्रतिलिपि पर उपलब्ध हैं !

1-“मुझे याद है मेरा ‘बेहद’ जब प्रतिलिपि के द्वारा gana.com में प्रोमोट किया गया था तो मुझे लगभग 40,000 मिले थे और मैंने उन रुपयों से मेरे अपने लिए एक 55 इंच का टीवी ख़रीदा था| पहली बार मेरे खाते में मेरी कमाई के इतने रुपये जमा किये गए थे जो मेरे जैसे घरेलु औरत के लिए गर्व की बात थी| उसके बाद मैंने प्रतिलिपि की कमाई से घर के लिए एक aquaguard ख़रीदा| मुझे नाज है कि अब मैं अपने लेखन से अपने शौक के साथ ही घर की जरूरतें भी पूरा कर सकती हूँ| अब मेरे सामने मेरी लेखनी का अनंत आकाश था जहाँ मैं अपने पंख फैलाकर उड़ सकती थी..”

ऑथर : डॉ पूनम बनर्जी,प्रोफ़ाइल चेक करने के लिए यहाँ क्लिककीजिए ! 

 

2-“बेशक हम प्रतिलिपि बार-बार खोलते हैं… बार-बार देखते हैं.. लिखते हैं…. लेकिन कोई जरूरी नहीं कि आपका संदेश हम तुरंत ही देख ले या तुरंत ही हमें प्राप्त हो जाए! थोड़ा धैर्य रखना सीखिए…. थोड़ा इत्मीनान रखिए ….ऐसा तो नहीं है कि एक ही दिन में आपको विषय मिल जाएगा और आप अपना पूरा धारावाहिक उसी दिन समाप्त कर लेंगे… कोई भी चीज या कोई भी रूपरेखा धीरे-धीरे तैयार होती है… अगर आप समय लेकर उस पर काम करेंगे… तो एक अच्छा साहित्य तैयार होगा! प्रतिलिपि मंच की एक खासियत है…वो प्रतिदिन नये नये सुझाव और विषय अपने लेखकों के लिए प्रस्तुत करता है”

ऑथर : नीतू सिंह, प्रोफ़ाइल चेक करने के लिए यहाँ क्लिककीजिए !


3-“जैसे दाल में बढ़िया तड़का लगा दो तो साधारण सी दाल भी आनंद दे जाती है इसी प्रकार किसी भी भाग में या किसी भी धारावाहिक के अंक में कुछ रुचि लाइए🥰चाहे वह कविताओं की पंक्ति हो या फिर हास परिहास सभी को दृश्य के रूप में प्रस्तुत कीजिए या फिर जबरदस्त एक्शन या भय का दृश्य । जब तक पाठकों की रूचि नहीं बनेगी तब तक वह धारावाहिक पर समय नहीं देंगे।

अब कोई रस्सी से तो बांध के नहीं रख सकते पाठकों को🤭🤭 यह तो आपके शब्द ही होंगे जो रस्सी का काम करेंगे उन्हें जोड़े रखने के लिए।”

ऑथर : डॉ. शुभ्रा वार्ष्णेय !,प्रोफ़ाइल चेक करने के लिए यहाँ क्लिककीजिए !


4-“दिन में मुझे वक्त कम मिलता है, तो कहानी को थोड़ा बहुत लिखती रहती हू जब भी समय मिलता है फिर रात को कहानी पूरी लिखती हूं लेकिन कंप्लीट करके पोस्ट सुबह करती हूं क्योंकि.. कई बार ऐसा होता है कि जब हम लिखते हैं तो लगता है कि एपिसोड बहुत अच्छा लिखा गया है लेकिन.. जब उसे कंप्लीट करके पोस्ट करके फिर खुद ही पढ़ते हैं तो लगता है इसमें तो बहुत सारी मिस्टेक है! इसलिए अक्सर कहानियां लिखकर मैं  छोड़ देती हूं! और फिर बाद में उसे स्थिर दिमाग से कंप्लीट करके पोस्ट करती हूं। एक अच्छी कहानी लिखने के लिए थोड़ी मेहनत तो करनी ही पड़ती है।”

ऑथर: पूर्णिमा किरण अर्चना सिंह,प्रोफ़ाइल चेक करने के लिए यहाँ क्लिककीजिए !


5-“पहले मुझे लगता था कि लिखना बहुत कठिन कार्य है और ये मेरे बूते की बात कभी नहीं। लेकिन,धीरे-धीरे प्रतिलिपि से लेकर हिंदी तक मेरा ज्ञान अपडेट हुआ और लेखन मेरे बूते का नहीं कहने वाली मैं, कहानियों के साथ कविताएं भी लिखने लगी। मेरे कान्हा का हाथ मेरे सर पर रहा और मेरी लिखी रचनाएं मेरे पाठकों को पसंद आती गई। बात करें कि प्रतिलिपि पर इतने वक्त में मैंने क्या पाया तो इसके बारे में जितना कहूं वो कम हीं होगा, मेरा कुछ भी कहना यहां बेमानी है। मैं बस इतना हीं कहूंगी कि आज मैंने अपनी मूल पहचान से इतर जो ये लेखिका के रूप में एक पहचान बनाई है वो प्रतिलिपि और मेरे प्रतिलिपि के पाठकों की देन है। “

ऑथर: प्रिया चौधरी, प्रोफ़ाइल चेक करने के लिए यहाँ क्लिककीजिए !


6-“किसी भी लेखक की रचना का सफर हमेशा अधूरा होता है, जब तक उसे पाठकों का रिस्पांस नहीं मिलता! यह रिस्पांस पॉज़िटिव भी हो सकता है और नेगेटिव भी..! बहुत से नेगेटिव कॉमेंट्स मिले..! लेकिन उन नेगेटिव कॉमेंट्स के कारण  मैंने अपने उपन्यास को फिर से एडिट किया.और पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई। 

प्रतिलिपि पर आमदनी का सिलसिला मुख्य रूप से जुलाई 21 से शुरू हुआ, जब मेरी रचना "रैगिंग यूनिवर्सिटी" प्रीमियम में लग गई, और पहले महीने ही 21 सो रुपए मुझे मिले..! उसके बाद से प्रीमियम के अंतर्गत अब तक लगभग ₹70, 000 मिल चुके हैं..! इसके अलावा डेढ़ लाख के लगभग रचनाओं के एग्रीमेंट और पुरस्कार के द्वारा मिल चुके हैं, जिसमें सुपर अवार्ड (प्रथम) का 50,000 का पुरस्कार भी शामिल है।”

ऑथर: विजय कान्त वर्मा, प्रोफ़ाइल चेक करने के लिए यहाँ क्लिककीजिए !


7-“कोई कहानी एक घटना मात्र नही है। जिस तरह घर बनाने के लिए गहरी नींव की ज़रूरत होती है, अच्छा नक्शा बनाना पड़ता है, क्वालिटी का सामान चाहिए, कुशल कारीगर और मेहनती श्रमिकों के सहयोग की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह एक अच्छी कहानी के लिए कथानक, पात्र, पात्रों का चरित्र चित्रण, संवाद, देशकाल व परिस्थितियों की समझ ,उद्देश्य व उचित क्लाइमेक्स अनिवार्य तत्व है। कोई भी नया लेखक साहित्य की हर विधा में हाथ आज़माता है और 'ट्रायल एंड एरर' मेथड द्वारा उस विधा की पहचान करता है, जिसमें वह आत्मसंतुष्टि के साथ साथ सफलता अर्जित कर सके”

ऑथर: विनोद कुमार दवे,प्रोफ़ाइल चेक करने के लिए यहाँ क्लिककीजिए !


8-मैं सिविल सर्विस की तैयारी कर रही थी और साथ में लॉ के एंट्रेंस एग्जाम में भी बैठने वाली थी लेकिन मेरे हैल्थ इशू कुछ इस तरह से बिगड़े कि डॉक्टर ने ज्यादा स्ट्रैस लेने से मना कर दिया! सही शब्दों में सिविल सर्विस की तैयारी मुझे बंद करनी पड़ी। वीक इम्यून सिस्टम, स्टमक इन्फेक्शन और डिहाईड्रेशन की दिक्कत कुछ ऐसी हो गई थी कि घर से निकलना भी मुश्किल हो गया था।

और उस वक्त जब एक तरीके से मुझे लगने लगा था कि गया सब कुछ! तब फिर से लेखन ने ही सहारा दिया और साथ में सहारा दिया प्रतिलिपि से हो रही कमाई ने! प्रतिलिपि की कमाई मुझे ऐसा लगता है कि तब स्टेबल रहती है जब आप कंटेंट पहले से ज्यादा अच्छा देते हो और रेगुलर देते हो।”

ऑथर: अंकु ठाकुर अनंत, प्रोफ़ाइल चेक करने के लिए यहाँ क्लिककीजिए !

 9- मैं दरअसल गांव में रहती हूं। हिमाचल का पूरा जंगलों से घिरा हुआ गांव जहां हल्का सा तूफान चलते ही लाईट    चली जाती है। कभी कभी पेड़ गिर गए तो कभी कहीं टहनी गिरने से तार टूट गई। ऐसे में दिनचर्या और गड़बड़ कर जाती थी। तो प्रतिलिपि से जोड़ी हुई कमाई से मैंने अपने घर में इन्वर्टर लगवा लिया। बहुत छोटी सी बात है लेकिन मेरे लिए बहुत बड़ी बात है क्योंकि हमारे गांव में हमारा घर दूसरा है जहां इंवर्टर है और मैं गांव की पहली बेटी हूं जिसने अपने घर में इन्वर्टर लगाया है। दूसरी चीज जो मैंने अभी मार्च में की! मैंने अपने लिए एलईडी टीवी लिया। प्रतिलिपि से जोड़े हुए पैसों से ही!

ऑथर: फ़रहीन राजपूत, प्रोफ़ाइल चेक करने के लिए यहाँ क्लिककीजिए !