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प्रतिलिपि पर मेरी शुरुआत और लेखन सफर- सिया

14 जून 2023

नमस्ते प्रिय लेखक !

हाल ही में हमने प्रतिलिपि के कुछ परिपक्व लेखको के लेखन सफर को आप सब के साथ साझा किया है। इस उम्मीद के साथ कि लेखक होने के क्रम में कुछ सवालो के जवाव आपको अपने आप मिल सकें और आगे बढ़ने के कुछ आइडिया भी मिल जाए।

कहा भी यही जाता है कि अपने क्षेत्र में पहले से सफल लोगों का पीछा करने से हम बहुत से अनावश्यक कार्य करने से ना सिर्फ बच जाते हैं। बल्कि कम समय में  हमारे सफलता पाने के चांसेस भी बढ़ जाते हैं।

तो, इसी क्रम में आज हम आपसे 'सिया' जी का लेखन सफर साझा कर रहे हैं उन्हीं के शब्दों में-

प्रतिलिपि पर मेरा सफर

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम डॉक्टर प्रतीक्षा त्रिपाठी है। आप सब मुझे सिया के नाम से जानते हैं।
वैसे मैं बता दूं सिया मेरा नही मेरी बेटी का नाम है.....

आज मैंने सोचा आप सबको अपने प्रतिलिपि के सफर के बारे में बताती हूं

मेरे प्रतिलिपि पर सफर की शुरुआत पाठक के तौर पर तो मुझे खुद भी याद नहीं है कब हो गई थी। मैं बहुत सालों से प्रतिलिपि पर कहानियां पढती आ रही थी और इस ऐप में नीचे जो लिखे का ऑप्शन होता है। उसे देखकर कई बार लिखने का मन करता था  पर  जैसा कि आपने अभी अभी मेरे नाम में पढा है, की मैं एक डॉक्टर हूं इसलिए लगता था, क्या लिखूंगी पर हर बार कुछ ना कुछ लिखने का कीड़ा कुलबुलाता रहता था, पर मैं बस थोड़ा नानुकुर करके शांत हो जाती थी मेरे उस कीड़े को बाहर आने का मौका तब मिला जब तकरीबन 11 वर्ष के अनुभव के बाद मेरी प्रेगनेंसी के लिए मैंने जॉब छोड़ दी और मैं पूरी तरह से घर पर बैठ गई।

प्रेगनेंसी के 9 महीने तो बच्चे के इंतजार में कट गए। शुरुआत के कुछ महीने भी बच्चे के साथ कट रहे थे और ये उम्मीद थी की मैं इसके 6 महीने का होते ही वापस काम पर जा सकती हूं, पर उसी दौरान लॉक डाउन लग गया मेरी बेटी महज 4 महीने की थी जब लॉकडाउन लगा था और इतने छोटे बच्चे को घर पर छोड़ कर मैं नौकरी वापस नहीं कर सकती थी कोई भी काम आप कर सकते हो, पर आप करना नहीं चाहते और आप चाह कर भी नहीं कर सकते कि बीच में बहुत बड़ा फर्क होता है और यह वापस ना जा पाने की फीलिंग मुझे बहुत परेशान कर रही थी।

मैं कुछ करना चाहती थी सिर्फ अपने लिए, अपनी मानसिक शांति के लिए और इसीलिए मैंने लिखना शुरू कर दिया। पहली बार जब पार्ट लिखा तो एक-एक शब्द को टाइप करके लिखा। उसे लिखने में मुझे बहुत समय लगा, जिसकी वजह से पार्ट इतना छोटा था कि पाठकों को पढ़कर लगा। इतना सा..?? शायद 2 या 3 मिनट का ही रहा होगा। सबसे बड़ी समस्या यह थी कि मैं अपना नाम नहीं लिखना चाहती थी। मुझे डर aलग रहा था कि लोग मजाक बनाएंगे कि डॉक्टर होकर कहानियां लिख रही है। इसलिए मैंने अपनी बेटी का नाम लिख दिया। धीरे-धीरे करके लोगों को मेरी कहानी पसंद आने लग गई। नए चैप्टर की डिमांड बढ़ने लगी।

मुझे अच्छे से याद है पहले 1000 रीड और शायद 100 फॉलोवर तो मैंने एक एक करके गिने थे, हर 5 मिनट में ऐप खोलकर देखती थी की कितने रीड और कितने फॉलोअर बढे उसके बाद यह संख्या इतनी तेजी से बढ़ी कि मैं हिसाब ही नहीं लगा पाई। उस दिन का दिन है और आज का दिन है। आप सभी का प्यार मुझे लगातार मिलता ही जा रहा है। पर फिर भी प्यार जितना मिले कम ही होता है इसलिए इस प्यार को कभी कम मत कीजिएगा...तो कुछ इस तरह से मेरी प्रतिलिपि पर शुरुआत हुई थी।

इसके बाद मैं कुछ भाग्यशाली लेखकों में से थी जिन्हें शुरुआती दौर में ही मोनेटाइजेशन मैं आने का मौका मिल गया था जब पहली बार प्रतिलिपि ने सब्सक्राइबर का कांसेप्ट स्टार्ट किया था। उस वक्त मेरे 200 से ज्यादा फॉलो थे। इसलिए मैं अपनी कहानी सब्सक्रिप्शन में रख सकती थी। पर सच कहूं तो रखना नहीं चाहती थी, मुझे लग रहा था, कौन पढेगा ? कोई ₹25 नहीं देगा...

उस वक्त मेरे हस्बैंड ने मुझे कहा "तुम अपनी मेहनत कर रही हो। अगर लोगों को पसंद आएगी तो ₹25 कोई बड़ी बात नहीं है। खुशी खुशी देंगे।
कंपनी अगर कोई नई पॉलिसी ला रही है तो कुछ बेहतर के लिए ही लाई होगी। अपनी कहानी को सब्सक्रिप्शन में रखो"

वैसे यहां मैं आप सबको बता दूं कि अब मेरी  सारी सफलता का श्रेय वह एक सलाह देने के लिए खुद ले लेते हैं। और आज भी कहते हैं कि तुम्हें सब्सक्रिप्शन में स्टोरी रखने के लिए मैंने कहा था। इसलिए तुम्हें जो भी पैसे मिल रहे हैं, वह मेरी वजह से मिल रहे हैं ना तुम पहले कहानी सब्सक्रिप्शन में रखती और ना तुम्हारी इनकम बढ़ती है...

तो कुछ इस तरह से मेरी पहली कहानी सब्सक्रिप्शन में और फिर खत्म करने के कुछ महीनों के बाद प्रीमियम में चली गई । जब मेरी कहानी प्रीमियम में गई उस वक्त मुझे।
कुछ भी पता नहीं था। मुझे अंदाजा भी नहीं था कि प्रीमियम से इनकम किस तरीके से आती है। इसके पहले मुझे प्रतिलिपि से 1 महीने में कुछ ,₹1522 मिल चुके थे और सच कहूं तो मुझे लगभग इतने ही पैसों की उम्मीद थी,

मुझसे अक्टूबर में प्रीमियम के लिए। कंसेंट ले लिया गया था और मैं उसे देकर भूल गई थी। बाद में मैं अपनी ऑनलाइन क्लासेस में बिजी हो गई तो लिखना भी लगभग बंद कर दिया। फिर अचानक एक दिन मैंने यूं ही नहीं। जब अपनी ऐप खुल कर देखा तो उसमें पैसे बढ़ रहे थे। इसका मतलब था लोग मेरी कहानी को पढ़कर सिक्के दे रहे थे। प्रोत्साहन दे रहे थे।

बस यहां से मेरे प्रतिलिपि के अंदर एक प्रोफेशनल लेखक के तौर पर मेरी सफर की शुरुआत हो गई। एक कहानी के बाद दूसरी दूसरे के बाद तीसरी चौथी और अभी पांचवी कहानी चल रही है। मैं लगातार लिखती जा रही हूं। अब ऐसा हो गया है कि जिस दिन ना लिखूं उस दिन खुद को पछतावा होता है। की पूरा दिन बर्बाद कर लिया। इससे तो अच्छा होता। एक या 2 चैप्टर ही लिख लेती

समय के साथ मैंने यह जाना की प्रतिलिपि में आप अगर अच्छा लिखते हैं। तो बहुत सीधे और सटीक तरीके से कमा सकते हैं। आपने शुरू से प्लान कर रखा है और आप मानसिक तौर पर बच्चे को छोड़कर जाने के लिए तैयार है यह शुरुआती दौर में हर कामकाजी इंसान के साथ होता है, वो एक समय के बाद काम पर लौटता ही है...मेरा भी यही प्लान था और पुराना में मेरे प्लान को ब्लॉक कर दिया

और लगभग ढाई साल अपनी बेटी के साथ घर पर बिताने के बाद अब मैं उसे छोड़कर नहीं जाना चाहती थी एक मां के तौर पर मुझे महसूस हो रहा था कि मेरे बच्चे की जो देखभाल मैं कर पा रही हूं वह कोई भी नहीं करेगा,
सिया के स्वास्थ्य और खानपान की आदतों में मेरी परवरिश झलक रही थी वह हर चीज बहुत अच्छे से सीख रही थी और आज भी सीखती है बहुत जल्दी सीख जाती है,

कोरोना के चले जाने के बाद भी मैं अपनी बेटी को किसी हाउसहेल्प के सहारे छोड़कर नहीं जाना चाहती थी और भगवान की कृपा से परिवार भी इतना सक्षम है कि उन्हें मेरे नौकरी करने की जरूरत नहीं थी। और अपना मेडिकल से रिलेटेड काम मैं घर से मेडिकल के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा ही रही थी। अब मेरे पास इनकम के दो जरिए बने हुए हैं। एक तो मेरी ऑनलाइन क्लासेस है जिसमें में सभी तरह के मेडिकल के स्टूडेंट्स को पढ़ाती हूं और दूसरा प्रतिलिपि.........

आप सब को जानकर हैरानी होगी और हंसी भी आएगी की सोर्सेस की वजह से मेरे हस्बैंड ने तो यह तय ही कर लिया है कि अब मैं यही करूंगी। उनसे अगर अब नौकरी के लिए बोलो, भी तो उनका जवाब आता है। तुम अच्छा खासा तो कर रही हो। अब बाहर जाकर काम करके क्यों परेशान होना चाहती हो। मुझे उनके यह कहने से कोई एतराज नहीं है। क्योंकि अपने सब्जेक्ट की कांटेक्ट में हूं। मैं वही पढ़ाती हूं जो मैंने पढ़ा है
इसलिए मुझे भी बाहर जाकर नौकरी ना कर पाने का कोई पछतावा नहीं होता।

मेरे इस कहानी को आप सबके साथ शेयर करने का सिर्फ एक कारण है। अगर आप में से किसी को भी यह लगता है कि सिया की प्रोफाइल पर बहुत सारे फॉलोअर्स है या बहुत सारे पाठक संख्या है। तो यह हर किसी की कहानी पर हो सकती है। यह हर किसी की कहानी हो सकती है। अगर आप अच्छा लिखते हैं लोगों को आपका लिखा हुआ पसंद आता है तो आपके लिए पूरा आसमान खुला है।

मेरे प्रतिलिपि में लगातार लिखते रहने की कुछ बहुत बेसिक और मूल कारण है। सबसे पहला तो यह कि मुझे यहां का माहौल पसंद है। एक पाठक के तौर पर हो या एक लेखक के तौर पर प्रतिलिपि में आपको सम्मान किया जाता है। आपको सिर्फ शब्द छापने की मशीन नहीं बनाया जाता। अगर आप अच्छा लिखते हैं? तो बहुत ही सीधे-साधे तरीकों को फॉलो करके आप को प्रमोट किया जाता है। आप की कहानी को प्रीमियम में ले लिया जाता है और इतने साल के तजुर्बे से मैं यह कह सकती हूं की प्रतिलिपि में हर एक लेखक के अच्छे से अच्छा कमा पाने के जो भी साधन जुटाए जा सकते हैं, उसकी कोशिश हर पल जारी रहती है।

प्रतिलिपि के अंदर ही मैं कुछ और भी ऐसे लोगों को जानती हूं जो सिर्फ कहानियां लिखकर अपना घर चला रहे हैं और यह बहुत अच्छी बात है रही बात मेरी तो प्रतिलिपि ने मुझे इस बात का हौसला दिया है कि मैं नौकरी छोड़ कर भी घर पर रह सकती हूं जो शायद अगर आप मुझसे 3 या 4  साल पहले पूछते तो मैं कभी उस चीज के लिए राजी नहीं होती, पर अब मैं फाइनेंशली इंडिपेंडेंट हूं। अपने मन का काम कर रही हूं। अपनी बेटी की देखभाल कर पा रही हूं। अपनी बेटी का बचपन जी पा रही हूं। मेरे लिए इससे ज्यादा बड़ी बात कुछ भी नहीं है। अब आपको एक मजेदार बात बताती हूं। प्रतिलिपि से कहा गया था कि अगर मैंने कोई ऐसी चीज ली है। प्रतिलिपि की कमाई से जिसे देख कर मुझे बहुत अच्छा लगता है तो वह है मेरे हस्बैंड के लिए आईफोन 13 प्रो मैक्स!

हालांकि यह फोन वो पहले ही लेने वाले थे और मुझे खुशी है कि जब उन्होंने लिया उसकी पेमेंट मैं कर सकी। और ये मेरी अपनी कमाई थी जो मैने प्रतिलिपि से अर्जित की थी..अगर मेरी कहानी मेरा सफर आप सब को अच्छा लगा  तो समीक्षा करके जरूर बताइएगा और अगर मेरी कहानी पढ़कर आप में से कुछ लोग भी इंस्पायर्ड महसूस करते हैं और आपका लिखने का मन पक्का हो जाता है तो यकीन मानिए मेरा ऐसे लिखना सफल हो जाएगा।

मैं अंत में एक बार फिर वही बात दोहरा रही हूं
" अगर सिया कर सकती हैं तो कोई भी कर सकता है। लेखक का तो वैसे भी पूरा आसमान होता है। यह वाकई पूरा आसमान खुला हुआ है। आप चाहे जैसे रंग भरने और जितने रंग भरने आपकी मर्जी..."

धन्यवाद।
आपकी सिया

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