नाम- शिखा श्रीवास्तव
1. अपने बारे में कुछ बताएं-
मेरा नाम शिखा श्रीवास्तव है। मैं हाजीपुर, बिहार की निवासी हूँ। मैंने समाजशास्त्र विषय के साथ अपनी पढ़ाई की है। इस वक्त प्रतिलिपि के सहयोग से मैं लेखन को अपना पूर्ण वक्त दे रही हूँ।
2. आपकी लेखन यात्रा कब शुरु हुई?
मैंने अपनी पहली कविता तब लिखी थी जब मैं सातवीं कक्षा में थी, फिर नौवीं कक्षा में मैंने अपनी पहली कहानी लिखी थी, लेकिन नियमित लेखन मैंने वर्ष 2017 से आरंभ किया।
3. प्रतिलिपि के साथ जुड़कर आपका अनुभव कैसा रहा?
प्रतिलिपि मेरी रोजमर्रा की ज़िंदगी का अटूट हिस्सा बन चुकी है जिसके बिना रह पाना असंभव है। प्रतिलिपि से जुड़ने के बाद ही मेरी लेखन-कला में निखार आया, या फिर मुझे ये कहना चाहिए कि प्रतिलिपि पर आने के बाद ही मैंने अपनी लेखन-क्षमता को सही मायनों में पहचाना।
4. कहानियों को लेकर आपकी क्या सोच है?
कहानियों का अस्तित्व तब से है जब से मानव का अस्तित्व है। जब लेखन कला का आविष्कार नहीं हुआ था तब हमारे पूर्वज कहानियों के माध्यम से ही अपना ज्ञान, अपने रीति-रिवाज, जीवन के मूल्य अगली पीढ़ी को सौंपते थे जिसकी वजह से वो आज तक जीवित हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि जिन सवालों के जवाब हम ढूँढ रहे होते हैं उनके जवाब हमें किसी कहानी में मिल जाते हैं। एक अच्छी कहानी का असर हमेशा दिल-दिमाग पर देर तक रहता है।
5. आप किस विषय पर सबसे ज्यादा लिखना पसंद करती हैं, जैसे- हॉरर, प्रेम, सामाजिक, प्रेरणा आदि।
मुझे प्रेरणादायक और सामाजिक कहानियाँ जो आम जीवन से जुड़ी हों उन्हें लिखना ज्यादा पसंद है।
6. नव लेखकों को आप क्या सुझाव देना चाहेंगी?
मेरा सबसे पहला सुझाव यही है कि लिखने से पहले आप पढ़ने की आदत डालिये, उम्दा साहित्यकारों को पढ़िये साथ ही अपनी कल्पना का दायरा बढ़ाइए। किसी प्रतियोगिता के परिणाम से निराश होने की जगह अपनी गलतियों, अपनी कमियों को परख कर पूरी ऊर्जा से अगले प्रयास में अपनी लेखनी में निखार लाने का प्रयत्न कीजिये।
7. आप अपने पाठकों के लिए क्या कहना चाहेंगी?
अपने पाठकों से मैं यही कहना चाहूँगी कि मैं अभी लेखन के पहले पड़ाव पर हूँ, निरंतर सीख रही हूँ, अभी बहुत कुछ सीखना है। इस लंबे सफर में आप सब मेरे सहयोगी हैं। जब भी आपको मेरी किसी रचना में कोई त्रुटि, कोई कमी नज़र आये आप बेझिझक मुझे बताइये ताकि मैं उन कमियों को दूर करके अपनी लेखन कला में और निखार ला सकूँ और आपके लिए और भी अच्छी कहानियाँ लिख सकूँ।
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